माननीय राज्यपाल श्री सी०पी० राधाकृष्णन ने रांची के 100वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित किया
उक्त अवसर पर राज्यपाल महोदय ने ‘लाह कलर एनालायजर’ एवं पुस्तिकाओं का विमोचन भी किया।
पूनम की रिपोर्ट माननीय राज्यपाल श्री सी०पी० राधाकृष्णन ने आज ‘भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान’, नामकुम, रांची के 100वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि इस संस्थान ने हमारे देश में कृषि विकास को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आईसीएआर-एनआईएसए की सफलता इसके वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं व कर्मियों के समर्पित प्रयासों से ही संभव हो सका। कृषि के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता के कारण कई सफलताएँ और प्रगति हुई हैं जिससे हमारे देश व दुनिया को लाभ हुआ है।
राज्यपाल महोदय ने कहा कि संस्थान द्वारा न केवल पारंपरिक व नए मेजबान पौधों का उपयोग करके कुसुमी और लाह की खेती, संग्रह एवं प्रसंस्करण के वैज्ञानिक पद्धति विकसित किया गया है, बल्कि इसने लाह उत्पादकों और प्रसंस्करण से जुड़े व्यक्तियों के आर्थिक उत्थान हेतु इसे प्रसारित करने में भी अहम भूमिका निभाई है। इस संस्थान द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों के 80% से अधिक लाभार्थी छोटानागपुर क्षेत्र के गरीब व सीमांत जनजातीय किसान हैं। उन्होंने हर्ष प्रकट करते हुए कहा कि विगत 99 वर्षों में, संस्थान द्वारा विभिन्न पहलों/कार्यक्रमों के माध्यम से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से 10 लाख से अधिक व्यक्तियों को कौशल प्रदान कर उनके सामाजिक-आर्थिक उन्नयन हेतु प्रयास करना सराहनीय है।
राज्यपाल महोदय ने कहा कि आज हमारा देश कच्चे लाख के उत्पादन के क्षेत्र में विश्व में अग्रणी उत्पादक है, जिसका वार्षिक उत्पादन 20,000 टन से अधिक है, जो विश्व के कुल उत्पादन का लगभग 80% है। इसमें झारखंड राज्य का योगदान प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि कृषि हमेशा हमारे राष्ट्र की रीढ़ रही है। उन्होंने कहा कि हमारे राज्य में वार्षिक लगभग 1500 मिमी वर्षा होने के बावजूद, कृषि के क्षेत्र में कतिपय समस्याएँ हैं। हमारे किसानों को उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी अपनानी होगी। माननीय प्रधानमंत्री जी किसानों की आय में वृद्धि हेतु निरंतर प्रयासरत है। इसके लिए किसानों को द्वितीयक कृषि पद्धतियों का उपयोग करना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2023 को “इंटरनेशनल मिलेट ईयर” घोषित किया गया है।
राज्यपाल महोदय ने कहा कि राज्य में कृषि से संबंधित गतिविधियों को बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सब्जियों, मसालों, औषधीय पौधों, सुगंधित चावल आदि की जैविक खेती की यहाँ पूर्ण संभावना है। उन्होंने मत्स्यपालन, मुर्गीपालन हेतु भी प्रेरित किया। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि यह संस्थान प्रतिबद्धता से कार्य करते हुए और उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल करेगा।
उक्त अवसर पर राज्यपाल महोदय ने ‘लाह कलर एनालायजर’ एवं पुस्तिकाओं का विमोचन भी किया।
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