HeadlinesJharkhand

कोल्हान विश्वविद्यालय, चाईबासा के पंचम दीक्षान्त समारोह के अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय

कोल्हान विश्वविद्यालय, चाईबासा के पंचम दीक्षान्त समारोह के अवसर पर माननीय राज्यपाल-सह-झारखण्ड राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति महोदय का दीक्षान्त अभिभाषण

कोल्हान विश्वविद्यालय, चाईबासा के पंचम दीक्षान्त समारोह के अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय

रांची ब्यूरो: दिनांक 08 अप्रैल, 2022 को कोल्हान विश्वविद्यालय, चाईबासा के पंचम दीक्षान्त समारोह के अवसर पर माननीय राज्यपाल-सह-झारखण्ड राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति महोदय का दीक्षान्त अभिभाषण:-

 कोल्हान विश्वविद्यालय, चाईबासा के पंचम दीक्षान्त समारोह के अवसर पर मैं आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ देता हूँ।
 सर्वप्रथम, इस अवसर पर मैं उपाधि प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों को बधाई देता हूँ तथा उनके आने वाले जीवन में सफलता के लिए मंगलकामना के साथ उनको अशीर्वाद देता हूँ। सभी पदक विजेता विद्यार्थी विशेष प्रशंसा के पात्र हैं। साथ ही, शिक्षकों एवं अभिभावकों को भी मैं हार्दिक बधाई देता हूँ जिनके अथक प्रयास से आप विद्यार्थियों ने यह सफलता प्राप्त की है।
 दीक्षांत समारोह के आयोजन हेतु मैं समस्त विश्वविद्यालय परिवार को भी बधाई देता हूँ। दीक्षांत समारोह विद्यार्थियों के जीवन में विशेष महत्व रखता है, यह उनके जीवन का अविस्मरणीय और मूल्यवान पल होता है। मेरी अपेक्षा है कि भविष्य में विश्वविद्यालय द्वारा समय पर दीक्षांत समारोह आयोजित किये जाते रहेंगे ताकि विद्यार्थियों को समय पर डिग्री दी जा सकें।
 मुझे पूर्ण विश्वास है कि कोल्हान विश्वविद्यालय से आज उपाधि ग्रहण करने वाले समस्त होनहार व सफल विद्यार्थी राष्ट्रहित में बढ़-चढ़ कर काम करेंगे।

Hon'ble Governor on the occasion of fifth convocation of Kolhan University, Chaibasa
 प्रिय विद्यार्थियों, यहाँ आपने जो ज्ञान अर्जित किया है, उसके द्वारा आप अपने नए एवं चुनौतीपूर्ण जीवन में प्रवेश कर रहे हैं। आप जो भी पेशा चुनेंगे, उसमें आपको विश्वविद्यालय में रहने के दौरान प्राप्त हुए ज्ञान को प्रदर्शित करने के अवसर प्राप्त होंगे, प्रतियोगिता के इस युग में अपनी प्रतिभा से आपको उत्कृष्टता हासिल करनी होगी।
 शिक्षा का लक्ष्य मात्र उपाधि प्राप्ति तक सीमित नहीं है या केवल धन प्राप्ति का जरिया भी नहीं है। शिक्षा मनुष्य को चरित्रवान बनाने के साथ-साथ उत्तम नागरिक भी बनाने का कारगर साधन है।
 ज्ञान ही सबसे महत्वपूर्ण पूंजी है। सदैव कुछ न कुछ नया जानने और सीखने वाला व्यक्ति ही इस दौर की चुनौतियों का सामना कर सकेगा।
 शिक्षा सीमित अर्थ में बेहतर जीवन की तैयारी है और बड़े अर्थ में कहा जाए तो, यह जीवन का परम उद्देश्य है। नैतिकता तथा अन्य चारित्रिक गुणों को आत्मसात करना भी शिक्षा का ही अनिवार्य अंग है।
 जिज्ञासा, उत्साह और सतर्कता के साथ अपने ज्ञान, कौशल और बुद्धि का सदैव विकास करने वाले व्यक्ति के लिए आज अपार अवसर भी उपलब्ध हैं। केवल अपने कौशल के बल पर आधुनिक टेक्नॉलॉजी के जरिए अनेक भारतीय युवाओं ने विश्वस्तरीय सफलताएं अर्जित की हैं।

Hon'ble Governor on the occasion of fifth convocation of Kolhan University, Chaibasa
 शिक्षा राष्ट्र के आर्थिक-सामाजिक विकास का शक्तिशाली साधन है। ज्ञान से ही वास्तविक सशक्तीकरण आता है। यदि हमारे देश को उच्च विकास के पथ पर आगे बढ़ना है तो उच्च शैक्षणिक मानकों को प्राप्त करने का निरंतर प्रयास बहुत जरूरी है।
 मैं समझता हूँ कि विश्वविद्यालय में सुन्दर और अच्छा माहौल होना चाहिए। शिक्षकों को सच्चे अर्थों में शिक्षा के प्रति समर्पित होना चाहिए। शिक्षक और विद्यार्थी का संबंध मजबूत होना चाहिए। हमारे शिक्षकगण विद्यार्थियों को सही मार्गदर्शन करें ताकि विद्यार्थी अपने उद्देश्य से न भटकें।
 वैश्वीकरण के इस युग में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। विद्यार्थियों को हर हाल में गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान करने के लिए विश्वविद्यालय प्रतिबद्ध रहे तथा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ-साथ कौशल विकास पर भी जोर देना बहुत जरूरी है। विद्यार्थी विभिन्न प्रतिस्पर्धा में सफलता हासिल करें, इसके लिए विश्वविद्यालय को प्रतिबद्ध होकर कार्य करना जरूरी है।
 विश्वविद्यालय में शोध के महत्व को समझते हुए इसके स्तर को उच्च करने का हर संभव प्रयास करना चाहिये, शोध में हमारे विद्यार्थियों में निहित इनोवेटिव आईडिया दिखना चाहिये ताकि समाज को उसका लाभ पहुँचे।
 भारत ऋषि-मुनियों का देश है। यहाँ जीने की कला-पद्धति भी धर्म की नींव पर आधारित है। अर्थात् जिस इंसान के पास विद्या है, वही झुकना भी जानता है और उसके अन्दर अहंकार लेशमात्र भी नहीं दिखता है, जैसे कि आप किसी फलदार वृक्ष को देख लीजिए, वृक्ष पर लगे फल इंसान के अन्दर उपस्थित विद्या, ज्ञान, परोपकार और सहनशीलता के प्रतीक हैं।

और देखें: निक्की तंबोली ने अपने नए अंदाज से ढाया कहर देखे पूरी रिपोर्ट।।

 मुझे बताया गया है कि कोल्हान विश्वविद्यालय ने एन०सी०सी० को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया है। साथ ही विश्वविद्यालय बी०सी०ए०, बी०बी०ए०, बी०एस.सी० आई०टी०, वाटर मैनेजमेंट, बी०एड०, एम०एड० आदि व्यावसायिक पाठ्यक्रम के माध्यम से विद्यार्थियों को रोजगार सुलभ कराने योग्य बनाने की दिशा में प्रयासरत है।
 उच्च शिक्षा क्षेत्र में महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कोल्हान विश्वविद्यालय के अधीन जमशेदपुर महिला महाविद्यालय को विश्वविद्यालय के रूप में विकसित किया गया है। इस विश्वविद्यालय को झारखण्ड में पहला महिला विश्वविद्यालय बनने का गौरव हासिल होगा।
 महिला सशक्तीकरण सामाजिक विकास के लिए जरूरी है। शिक्षा सशक्तीकरण का सबसे प्रभावी माध्यम है। हमारी बेटियां उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं।
 मैंने अधिकांश विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोहों में यह देखा है कि स्वर्ण पदक विजेता विद्यार्थियों में लड़कियों की संख्या लड़कों से अधिक होती है। बेटियों का यह शानदार प्रदर्शन, भविष्य के विकसित भारत की सुनहरी तस्वीर प्रस्तुत करता है।
 मुझे प्रसन्नता है कि कोल्हान विश्वविद्यालय, इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, नई दिल्ली, सिद्धू-कान्हु बिरसा विश्वविद्यालय, पुरुलिया, फकीर मोहन विश्वविद्यालय, बालेश्वर, श्री जगन्नाथ संस्कृत विश्वविद्यालय, पुरी, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी आदि अनेक शैक्षणिक संस्थानों के साथ एम०ओ०यू० करके ज्ञान का आदान-प्रदान कर रहा है।
 किसी विश्‍वविद्यालय की स्‍थापना और संचालन में पूरे समाज का योगदान होता है। इसलिए, विश्‍वविद्यालयों को भी चाहिए कि वे पूरे समाज के प्रति अपनी जिम्‍मेदारी निभाएं।

Hon'ble Governor on the occasion of fifth convocation of Kolhan University, Chaibasa
 समाज सेवा के महत्व को समझना और उसमें सक्रिय होना राष्ट्र-निर्माण के साथ-साथ आत्म-निर्माण के लिए भी जरूरी है। मातृ-ऋण, पितृ-ऋण, आचार्य-ऋण आदि ऋणों के साथ-साथ समाज-ऋण को चुकाने के लिए भी सभी को पूरी निष्ठा से तत्पर रहना चाहिए।
 कारपोरेट सोशल रिस्‍पॉन्‍सिबिलिटी (सी०एस०आर०) की तरह विश्‍वविद्यालयों को यूनिवर्सिटी सोशल रिस्‍पॉन्‍सिबिलिटी की दिशा में सक्रिय होना चाहिए। यहाँ के विद्यार्थी नजदीक के गांवों और बस्‍तियों में लोगों के बीच कुछ समय बिताएं, उनकी समस्‍याओं के समाधान में हाथ बंटाएं और उनके जीवन-स्तर में सुधार लाने का प्रयास करें।
 विद्यार्थी विशेष तौर पर स्वच्छता, साक्षरता, टीकाकरण और पोषण जैसी कल्‍याणकारी योजनाओं के बारे में ग्रामवासियों में जागरूकता बढ़ा सकते हैं। विश्‍वविद्यालय अपने स्‍तर पर आस-पास के गांवों को गोद ले सकता है और उनकी प्रगति में सहभागी बन सकता है।
 दीक्षान्त समारोह के इस अवसर पर सभी विद्यार्थियों से मैं यह कहना चाहता हूँ कि झारखण्ड प्रदेश को शिक्षा के क्षेत्र में एक अनुकरणीय प्रदेश बनाने में आप सहभागी बनें। अपने उत्थान के साथ-साथ समाज और राष्ट्र के उत्थान में भी अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें।
 आप सभी विद्यार्थी सफलता के पथ पर हमेशा आगे बढ़ते रहें, इसके लिए मेरी शुभकामनाएं और आशीर्वाद सदा आपके साथ हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
%d bloggers like this: