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देश की सबसे मजेदार और एडवेंचर से भरी हुई टॉय ट्रेन राइड का रोमांचक सफर

क्या आपका भी घूमने का मन कर रहा है? तो आइये आज हम बात करने जा रहे हैं, देश की सबसे मजेदार और एडवेंचर से भरी हुई टॉय ट्रेन राइड की। टॉय ट्रेन ऐसी जिसके बारे में सुनते ही उसमें बैठने का मन करे

देश की सबसे मजेदार और एडवेंचर से भरी हुई टॉय ट्रेन राइड का रोमांचक सफर

क्या आपका भी घूमने का मन कर रहा है? तो आइये आज हम बात करने जा रहे हैं, देश की सबसे मजेदार और एडवेंचर से भरी हुई टॉय ट्रेन राइड की। टॉय ट्रेन ऐसी जिसके बारे में सुनते ही उसमें बैठने का मन करे।

न्यूज डेस्क : या आपको घूमने का शौक है? अगर हाँ तो आज हम आपको देश के कुछ सबसे मजेदार सफर की सैर कराने लेकर जा रहे हैं। तो अपनी सीट बेल्ट बाँध लीजिए क्योंकि यह सफर बेहद मजेदार होने जा रहा है। क्या आपने कभी टॉय ट्रेन को देखा है? जाहिर सी बात है फ़िल्मों में, पार्क में तो देखा ही होगा। इस ट्रेन में घूमने का अलग ही आनंद है। ये ट्रेन शांत और रोमांचक अनुभव से कम नहीं है और यही कारण है कि जीवन में एक बार आपको इन टॉय ट्रेन में सफर जरूर करना चाहिए। तो चलिए जानते हैं भारत की फेमस टॉय ट्रेन के बारे में।

कालका-शिमला टॉय ट्रैन
ये ट्रेन पंजाब के कालका स्टेशन और हिमाचल राज्य की राजधानी शिमला के बीच चलती है। ट्रेन कालका स्टेशन से ऊपर की दिशा में चढ़ाई शुरू करती है और 2076 मीटर की ऊंचाई पर शिमला पहुंचती है। बता दें कि कालका-शिमला भारत में बहुत कम परिचालन वाली टॉय ट्रेन में से एक है। हरी-भरी पहाड़ियों के बीच से होकर गुजरती इस ट्रेन में आपको सुंदरता के नजारे देखने को मिलेंगे। 96 किलोमीटर का कालका-शिमला मार्ग एक नैरो गेज ट्रेन ट्रैक है। जिसमें चौकाने वाली बात यह है कि इसमें लगभग 103 सुरंग और 850 से अधिक पुल शामिल हैं। कालका-शिमला टॉय ट्रेन में लगभग 5.5 घंटे की यात्रा होती है। साथ ही ये ट्रेन शिमला आने वाले पर्यटकों के लिए ज्यादा रेकमेंड की जाती है। हावड़ा कालका मेल इस टॉय ट्रेन के लिए कनेक्टिंग ट्रेन है। इस लाइन में एक और ट्रेन है हिमालयन क्वीन, जो दोपहर के आसपास शुरू होती है और शाम से पहले शिमला पहुंचती है। कालका शिमला के बीच कुछ और यात्री ट्रेनें और एक रेल मोटर कार भी चलती हैं

नीलगिरि माउंटेन टॉय ट्रेन
नीलगिरि माउंटेन टॉय ट्रेन यकीनन आपको अपनी सांस रोकनी ही पड़ेगी। घने जंगलों, चट्टानी इलाकों और धुंध भरे पहाड़ी इलाकों से गुजरते हुए, नीलगिरि माउंटेन टॉय ट्रेन भारत की सबसे अच्छी टॉय ट्रेन में से एक है। 16 सुरंगों और 250 पुलों के साथ ये ट्रेन चाय बागानों के लिए प्रसिद्ध कुन्नूर शहर से होकर गुजरती है। स्टेशन मेट्टुपालयम से कुन्नूर तक स्टीम इंजन ट्रेन को पीछे से पुश करता है। फर्स्ट क्लास का डिब्बा ट्रेन के अगले भाग से जुड़ा हुआ है जो ट्रैक और घाटी का शानदार व्यू देता है।

दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे
बर्फीले ऊंचे पहाड़, जिगजैग मोड़ और खड़ी ढाल आपके सफर को खास बनाती है। राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर की 1969 की क्लासिक फिल्म आराधना के मशहूर गाने मेरे सपनों की रानी में इस टॉय ट्रेन और ट्रैक को दिखाया गया था। बता दें कि ये ट्रेन घूम स्टेशन से होकर गुजरती है जो 7407 फीट की ऊंचाई पर भारत का सबसे ऊंचा रेलवे स्टेशन है। और आखिरी स्टेशन दार्जिलिंग 6812 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। स्टीम लोकोमोटिव का इस्तेमाल घूम और दार्जिलिंग स्टेशनों के बीच कुछ देरी के लिए जॉय राइड के तौर पर किया जाता है। रास्ते में आपको कंचनजंगा चोटी और दार्जिलिंग शहर देखने को मिलेगा। यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे भारत में सबसे अच्छी विरासत टॉय ट्रेन है।

कांगडा वैली रेलवे
कांगडा वैली रेलवे टॉय ट्रेन पठानकोट और जोगिंद्रनगर के बीच संकीर्ष गेज पर चलती है। ये ट्रेन उच्चे पुलों और सुरंगों के बीच से कांगड़ा घाटी से गुजरती है। सामान्य सड़क यात्रा की तुलना में जोगिंदर नगर तक पहुंचने में अधिक समय लगता है। यात्रा के दौरान आप रेल की पटरी के किनारे से बर्फ से ढके पहाड़ों और नदियों को देख सकते हैं। इस ट्रेन में आपको धोलाधार रेंज का भव्य दृश्य देखने को मिलेगा। यह ट्रेन पठान कोट जंक्शन से होकर जोगिंद्रनगर रुट पर चलती है।

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