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महाकाल मंदिर में भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस

मंदिर सफाई और दर्शन व्यवस्था प्रभारी गिरफ्तार

महाकाल मंदिर में भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस
मंदिर सफाई और दर्शन व्यवस्था प्रभारी गिरफ्तार
प्रिया की रिपोर्ट महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं से रुपये लेकर भस्म आरती दर्शन करवाने के मामले में भ्रष्टाचार का नया खुलासा हुआ है. रिमांड पर लिए गए दो कर्मचारियों के बयान और मोबाइल रिकॉर्ड के आधार पर छह और कर्मचारियों की भूमिका उजागर हुई. इनमें से तीन को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है.

19 दिसंबर को सामने आया था मामला
दरअसल, 19 दिसंबर को महाकाल मंदिर में श्रद्धालुओं से भस्म आरती के लिए रसीद के बजाय हजारों रुपये रुपये वसूलने की शिकायत सामने आई थी. इसके बाद मंदिर के सफाई व्यवस्था प्रभारी विनोद चौकसे और दर्शन प्रभारी राकेश श्रीवास्तव पर शक होने पर उनके बैंक ट्रांजेक्शन और मोबाइल रिकॉर्ड की जांच की गई. इससे पता चला कि दर्शन के नाम पर बड़ी रकम वसूली गई है. इसके बाद पुलिस ने अमानत में खयानत का केस दर्ज कर दोनों को गिरफ्तार कर रिमांड पर लिया. इस दौरान पूछताछ और जांच में पता चला कि दर्शन करवाने के नाम पर छह अन्य कर्मचारियों की मिलीभगत से अवैध वसूली की जा रही है.

छह और कर्मचारी आरोप के घेरे में
जांच के दौरान पता चला कि भस्म आरती प्रभारी रितेश शर्मा, सहायक राजेंद्र सिसोदिया, आईटी सेल प्रभारी राजकुमार, प्रोटोकॉल प्रभारी अभिषेक भार्गव और सिक्योरिटी कंपनी क्रिस्टल के कर्मचारी ओम प्रकाश और जितेंद्र पंवार भी इस भ्रष्टाचार के खेल में शामिल हैं. एसपी प्रदीप शर्मा ने बताया कि इनमें से तीन को हिरासत में ले लिया गया है और अन्य की तलाश जारी है.
ऐसे हुआ भ्रष्टाचार का खुलासा
19 दिसंबर को जब कलेक्टर नीरज सिंह तड़के मंदिर पहुंचे, तो नंदी हॉल में मौजूद श्रद्धालुओं ने शिकायत की. यूपी और अहमदाबाद के श्रद्धालुओं ने बताया कि पुरोहित राजेश भट्ट, अजय उर्फ पप्पू शर्मा और कृणाल शर्मा ने भगवान महाकाल को जल अर्पित करवाने का वादा कर 1,100 रुपये प्रति व्यक्ति वसूले. जांच में मंदिर के कर्मचारी विकास, संदीप, कन्हैया, और करण के नाम भी सामने आए.

जांच में हुआ धांधली का खुलासा
कलेक्टर नीरज सिंह के अनुसार पुजारी पुरोहितों द्वारा श्रद्धालुओं से रुपये लेने की शिकायत के बाद उसकी जांच की गई. इस दौरान पता चला कि कर्मचारी भी रसीद से अलग राशि लेकर भक्तों को दर्शन करा रहे हैं. नाम सामने आने के बाद दो कर्मचारियों से पूछताछ की गई. उनके खाते में ट्रांजेक्शन भी मिले हैं. उनके परिवार और मंदिर अधिकारी भी मामले में लिप्त हो सकते हैं. मामले में फिलहाल 30 नवंबर से 18 दिसंबर तक के सीसीटीवी फुटेज निकाले गए थे. उसी में गड़बड़ी सामने आ गई.
डिजिटल होती रसीद कटवाने की प्रक्रिया
उज्जैन के एसपी प्रदीप शर्मा ने बताया कि फिलहाल पुलिस ने रसीद कटवाने की प्रक्रिया को डिजिटल और पारदर्शी बनाने की सिफारिश की है. साथ ही मंदिर प्रशासन पर निगरानी बढ़ाने और श्रद्धालुओं के लिए उचित व्यवस्था सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर है.

इस मामले ने श्री महाकालेश्वर मंदिर के पवित्रता और प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंचाने वाले इस भ्रष्टाचार का समाधान जल्द होना आवश्यक है.

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