त्योहार का नाम छठ क्यू पडा, क्या है छठ पूजा का छठ शब्द का अर्थ?
प्रियंका कुमारी की रिपोर्ट जमशेदपुर: एक प्राचीन हिन्दू त्योहार ,भगवान सुर्य और छठी मैया (सुर्य की बहन के रुप मे जाना जाता है।)को समर्पित है,छठ पूजा बिहार ,झारखंड,उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यो मे मनाया जाता है।यह एक मात्र वैदिक त्योहार है जो भगवान सुर्य को समर्पित है,जिन्हे सभी शक्तियों का स्रोत माना जाता है और छठी मैया मनुष्य की भलाई,विकास और समृध्दि को बढावा देने के लिये प्रकाश, उर्जा और जीवन शक्ति के देवता की पूजा की जाती है । इस त्योहार के माध्यम से , लोग चार दिनो के लिये व्रत रखते है सुर्य भगवान को धन्यवाद देने के लिये।इस पर्व मे व्रत रखने वाले भक्त को व्रती कहा जाता है।
छठ पूजा इस वर्ष चार दिनो तक मनाई जा रही है, जो की पहला दिन कद्दू भात 8 नवंबर 2021को, दुसरा दिन खरना 9 नवंबर 2021 को , तीसरा दिन पहली अर्घ जिसे षष्ठी के रुप मे भी जाना जाता है (डूबते हुए सूरज को) 10 नवंबर 2021 को और चौथा दिन दुसरी अर्घ जिसे निस्तार के रुप मे भी जाना जाता है (उगते हुए सूरज को ) 11 नवंबर 2021को है।
त्योहार का नाम छठ क्यू पडा? छठ शब्द का अर्थ नेपाली और हिन्दी भाषा मे छह है और चूंकि यह त्योहार कार्तिक महीने के छठे दिन मनाया जाता है , इसलिये इस त्योहार का नाम छठ राख गया।
अंतिम दिन उदीयमान सूर्य को दिया जाएगा
अर्घ्य चार दिवसीय छठ महापर्व का कल यानि 11 नवंबर 2021 दिन गुरुवार को समापन हो रहा है. इस दिन सुबह उदयीमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. छठ पर्व के आखिरी दिन सुबह से ही नदी के घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ना शुरू हो जाती है. इस दिन व्रती और उनके परिवार के लोग नदी के किनारे बैठकर जमकर गाना-बजाना करते हैं और उगते सूरज का इंतज़ार करते हैं. सूर्य जब उगता है तब उसे अर्घ्य अर्पित किया जाता है, इसके बाद व्रती एक दूसरे को प्रसाद देकर बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते हैं. आशीर्वाद लेने के बाद व्रती अपने घर आकर अदरक और पानी से अपना 36 घंटे का कठोर व्रत को खोलते हैं. व्रत खोलने के बाद स्वादिष्ट पकवान आदि खाए जाते हैं और इस तरह पावन व्रत का समापन होता है।
उषा अर्घ्य का समय
छठ पूजा का चौथा दिन 11 नवंबर 2021, दिन गुरुवार है. इस दिन (उषा अर्घ्य) सूर्योदय का समय सुबह 06:41 बजे है. उषा अर्घ्य अर्थात इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुंचकर उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. यह अर्घ्य सूर्य की पत्नी उषा को दिया जाता है. मान्यता है कि विधि विधान से पूजा करने और अर्घ्य देने से सभी तरह की मनोकामना पूर्ण होती हैं। 36 घन्टे का रखा जाता है कठोर व्रत।