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विधान परिषद में आज और कम होगा सपा का दर्जा, खत्म होगा 3 सदस्यों का कार्यकाल बीजेपी इन्‍हें मौका देगी

समाजवादी पार्टी पार्टी के तीन विधायकों का कार्यकाल 28 अप्रैल तक ही है. इसके बाद सपा के 17 विधायकों में से 14 विधायक ही विधान परिषद में रहेंगे.

विधान परिषद में आज और कम होगा सपा का दर्जा, खत्म होगा 3 सदस्यों का कार्यकाल बीजेपी इन्‍हें मौका देगी

समाजवादी पार्टी पार्टी के तीन विधायकों का कार्यकाल 28 अप्रैल तक ही है. इसके बाद सपा के 17 विधायकों में से 14 विधायक ही विधान परिषद में रहेंगे.

हिमांशु शर्मा की रिपोर्ट,लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधान परिषद में समाजवादी पार्टी का प्रतिनिधित्व गुरुवार को और कम हो जाएगा। पार्टी के तीन विधायकों का कार्यकाल 28 अप्रैल तक ही है. इसके बाद सपा के 17 विधायकों में से 14 विधायक ही विधान परिषद में रहेंगे. इनमें बलवंत सिंह रामूवालिया, जाहिद हसन वसीम बरेलवी और मधुकर जेटली शामिल हैं। माना जा रहा है कि बीजेपी उन नवनियुक्त मंत्रियों को मौका देगी जो अभी तक विधान परिषद की खाली सीटों पर किसी सदन के सदस्य नहीं हैं.

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वहीं एक महीने बाद यानी 26 मई को सपा के तीन सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो जाएगा. डा. राजपाल कश्यप, अरविंद कुमार और डा. संजय लाठर का कार्यकाल भी अगले महीने समाप्त हो रहा है। जिन सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, वे सभी राज्यपाल द्वारा मनोनीत किए गए थे। मंगलवार को ही 36 निर्वाचित सदस्यों ने सदस्यता की शपथ ली। इसके बाद उच्च सदन में भाजपा सदस्यों की संख्या 66 हो गई है। इन खाली सीटों पर बीजेपी अपने नवनियुक्त मंत्रियों को सदस्य बनाएगी. मंत्री जसवंत सैनी, जेपीएस राठौर, नरेन्द्र कश्यप, दानिश, दयाशंकर मिश्र दयालू भाजपा सरकार में किसी सदन के सदस्य नहीं हैं, जबकि दिनेश प्रताप सिंह रायबरेली से निर्वाचित होकर विधान परिषद के सदस्य बने हैं.

विधान परिषद में पहली बार बीजेपी को मिला बहुमत

उत्तर प्रदेश विधान परिषद में बीजेपी ने पहली बार बहुमत हासिल किया है. इससे योगी सरकार की ताकत बढ़ गई है। सरकार अब दोनों सदनों से अपने दम पर कानून पारित करवा सकती है। वहीं विधान परिषद में कमजोर स्थिति से सपा की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं. गौरतलब है कि हाल ही में अधिग्रहित स्थानीय निकाय प्राधिकरण से भाजपा ने विधान परिषद की 36 रिक्त सीटों में से 33 पर जीत हासिल की है। भाजपा उम्मीदवारों ने 9 सीटों पर निर्विरोध जीत हासिल की थी और 24 सीटों पर विजेता घोषित किये थे । समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव के नतीजे बेहद निराशाजनक रहे हैं. एक भी सीट पर पार्टी का खाता नहीं खुल सका. वहीं, निर्दलीय उम्मीदवारों ने 3 सीटों पर जीत हासिल की.

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