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HC के स्किन कॉन्टेक्ट फैसले से नाराज SC, कहा_दस्ताने पहन अब होगा दुष्कर्म
प्रीति कुमारी की रिपोर्ट लखनऊ: मुंबई हाई कोर्ट की ओर से रेप केस को लेकर दिए गए स्किन टू स्किन कांटेक्ट वाले फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। बता दे उच्च न्यायालय के फैसले को लेकर विवाद खड़ा हो गया था, हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि पोक्सो एक्ट के तहत यौन उत्पीड़न का अपराधी तभी माना जा सकता है जब आरोपी और पीड़िता के बीच स्किन कांटेक्ट हुआ हो। अदालत के इस फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ,राष्ट्रीय महिला आयोग और अटॉर्नी जनरल ने अपील दायर की थी, इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस एस रविंद्र भट्ट और जस्टिस बेला त्रिवेदी की बेंच ने फैसले को खारिज कर दिया है।
बता दे जस्टिस बेला त्रिवेदी ने हाईकोर्ट के फैसले को बेतुका बताते हुए कहा पोक्सो एक्ट के तहत अपराध मानने के लिए फिजिकल स्किन कांटेक्ट की शर्त रखना हास्यास्पद होने के साथ ही इसे कानून का मकसद ही पूरी तरह से खत्म हो जाएगा जिसे बच्चों को यौन अपराधों से बचाने के लिए ही बनाया गया है। कोर्ट ने कहा कि इस परिभाषा को माना गया तो फिर ग्लब्स पहनकर रेप करने वाले लोग अपराध से जैसे जुर्म से बच जाएंगे यह बेहद अजीब स्थिति होगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि नियम ऐसी होनी चाहिए कि वे कानून को मजबूत करें ना कि उनके मकसद को ही खत्म कर दे।
।।बता दें कि बांबे हाई कोर्ट ने कहा था कि नाबालिग के अंदरूनी अंग को बिना कपड़े हटाए छुना तब तक सेक्सुअल असॉल्ट नहीं है जब तक कि स्किन से स्किन का टच ना हो, इस फैसले के खिलाफ दाखिल अपील पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने 27 जनवरी को हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी।
आपको बता दें अभियोजन पक्ष के मुताबिक ये मामला 14 दिसंबर 2016 का है जब लड़की की मां ने पुलिस के सामने अपनी तहरीर में कहा था कि आरोपी उनकी 12 साल की बेटी को कुछ खिलाने के बहाने ले गया और उसके साथ गलत हरकत की, उसके बाद आरोपी ने लड़की के कपड़े खोलकर उसके अंदरूनी अंग को कपड़े के ऊपर से छुआ।
निचली अदालत ने इस मामले में पक्षों के तहत आरोपी को दोषी करार दिया और 3 साल कैद की सजा सुनाई। हालांकि हाईकोर्ट ने अपने दिए गए आदेशों में बदलाव किया और मामले को पोक्सो के तहत सेक्शुल असॉल्ट न मानकर आईपीसी की धारा 354 के तहत छेड़छाड़ माना था , बंबई हाई कोर्ट ने कहा था कि बिना कपड़े को हटाए मामला पक्षों के तहत सेक्सुअल असॉल्ट का नहीं बनता है।