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ई-सवारी रेंटल्स प्राइवेट लिमिटेड ने की ई-रिक्शा ऑनर बनने की राह आसान

ई-सवारी मिशन का उद्देश्य उन्हें आत्मनिर्भर बनाकर फिर से अपने पैरों पर खड़ा करने में मदद करना है महामारी के कारण मौजूदा बेरोजगारी परिदृश्य में ई-रिक्शा

ई-सवारी रेंटल्स प्राइवेट लिमिटेड ने की ई-रिक्शा ऑनर बनने की राह आसान

दिल्ली ब्यूरो: कोरोना महामारी ने कई ई-रिक्शा चालकों की रोजी रोटी छीन ली है। ई-सवारी मिशन का उद्देश्य उन्हें आत्मनिर्भर बनाकर फिर से अपने पैरों पर खड़ा करने में मदद करना है। महामारी के कारण मौजूदा बेरोजगारी परिदृश्य में ई-रिक्शा, चालकों के लिए आजीविका का एक व्यवहार्य साधन है। इस हेतु ई-सवारी रेंटल्स प्राइवेट लिमिटेड ई-रिक्शा चालकों के लिए एक अनोखी योजना लेकर आए हैं, जिसके अंतर्गत अब वे ई-रिक्शा को कुछ समय के लिए लीज़ पर लेकर इस पर मालिकाना अधिकार प्राप्त कर सकते हैं। ई-सवारी ने वर्ष 2017 में ई-रिक्शा ट्रेडिंग की शुरुआत की थी। लेकिन वर्ष 2020 में इसने यह अनुभव किया कि ई-रिक्शा चालकों को विभिन्न समस्याओं, जैसे कि सुविधा की कमी, मेंटेनेंस, अत्यधिक खर्च आदि का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार ई-सवारी रेंटल्स प्राइवेट लिमिटेड ने इसके उचित निराकरण हेतु ई-सवारी का लीज़ कम ऑनरशिप मॉडल लॉन्च किया। इसके अंतर्गत चालक 35 माह तक प्रतिदिन 250 रूपए अदा करके गाड़ी पर मालिकाना अधिकार प्राप्त कर सकते हैं।

ई-सवारी के पार्टनर, श्री अनुज जैन ने बताया कि इस मॉडल के अंतर्गत ई-सवारी चालक को विभिन्न सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं। इसके अंतर्गत तीन साल का बिमा, फ्री मेंटेनेंस, फ्री सर्विस और कई तकनीकी सुविधाएँ दी जाती हैं। यानी गाड़ी कितने किलोमीटर चल चुकी है और बैटरी संबंधित तमाम जानकारी चालक को दी जाती है। इस श्रंखला को जारी रखने के उद्देश्य से ई-सवारी द्वारा हाल ही में एक इवेंट आयोजित किया गया, जिसमें मध्यप्रदेश तथा दिल्ली के वाएसी इलेक्ट्रिक व्हीकल तथा ट्रेक्टर बैटरी निर्माता ने मिलकर मौजूदा तथा फ्यूचर प्लान्स, और साथ ही ई-रिक्शा चालकों को किस प्रकार और अधिक अवसर दिए जा सकते हैं, जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की।
गौरतलब है कि पॉल्यूशन रहित ई-रिक्शा ट्रैक सिस्टम का अनुसरण करती है, जो सिग्नल का विस्तार किए गए क्षेत्रों में चलाई जा सकती है। हजार से 1.5 हजार रुपये प्रतिदिन की आय के साथ इसकी बेहद छोटी किश्त चुकाना बहुत ही आसान है। इस आय का उपयोग चालक बचत के रूप में कर सकते हैं।

आईसीएलईआई के अनुसार, एक ई-रिक्शा से वार्षिक उत्सर्जन शमन लगभग 378357.3 टन कार्बन डाइऑक्साइड होता है, यदि एक सीएनजी ऑटो को ई-रिक्शा द्वारा प्रतिस्थापित किया जाता है। ई-सवारी की सेवाओं की प्रमुखता विशेष तौर पर मध्यप्रदेश के इंदौर, उज्जैन और भोपाल में देखने में आई है। इन शहरों के साथ ही समूचे देश के छोटे-बड़े शहरों में ई-रिक्शा को पहली पसंद के रूप में प्रखरता से लिया जा रहा है। इवेंट के माध्यम से निश्चित तौर पर देश के हर कोने में इसकी लाभप्रदता का बखान किया गया है, जो प्रत्यक्ष रूप से रिक्शा चालकों के लिए फायदे का सौदा साबित होगा।

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