भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का हेमंत सरकार पर हमला
स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर ट्रिपल टेस्ट कैसे होगा ? पिछड़ा वर्ग आयोग में अध्यक्ष नहीं
पूनम की रिपोर्ट स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर राजनीति तेज हो गयी है। भारतीय जनता पार्टी ट्रिपल टेस्ट को लेकर राज्य सरकार की रणनीति पर सवाल खड़े कर रही है। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने आज राज्य सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्रिपल टेस्ट को लेकर राज्य सरकार से सवाल किया है। दीपक प्रकाश ने कहा, राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का अभी तक पूर्ण गठन नही हुआ। आयोग अध्यक्ष विहीन है और दूसरी ओर राज्य सरकार कैबिनेट की बैठक में पिछड़ा वर्ग आयोग से ट्रिपल टेस्ट कराने का निर्णय लेती है।दीपक प्रकाश ने कहा, सरकार पहले नामांकन फिर बाद में स्कूल खोलने पर विचार कर रही है।कि ट्रिपल टेस्ट को लेकर राज्य सरकार की मंशा साफ नही है। राज्य सरकार की मंशा साफ रहती तो पंचायत चुनाव में पिछड़ों के हक को सरकार नही मारती। पंचायतों में भी पिछड़े समाज को उचित प्रतिनिधित्व मिलता लेकिन ऐसा नहीं हुआ। और अब नगर निकाय चुनाव में भी राज्य सरकार पिछड़ा समाज को धोखा देने की तैयारी में है।उन्होंने कहा कि आखिर यह सरकार अध्यक्ष विहीन पिछड़ा वर्ग आयोग से कैसा ट्रिपल टेस्ट कराना चाहती है? कहा कि आयोग की भी अपनी प्रक्रिया होती है। आयोग ट्रिपल टेस्ट का निर्णय तभी कर पाएगा जब वह पूरी तरह फंक्शन में आएगा। हेमंत सरकार को नगर निकाय चुनाव में हार का भय सता रहा है। दलीय आधार पर चुनाव नही होने के बावजूद जिस प्रकार से पंचायत चुनाव में ग्रामीण जनता ने भाजपा के कार्यकर्ताओं को बढ़चढकर जीताया नगर निकाय चुनाव में भी इसी को दोहराया जाएगा। राज्य की जनता भ्रष्टाचार,तुष्टिकरण में डूबी विकास विरोधी हेमंत सरकार से ऊब चुकी है।दूसरी तरफ झारखंड मुक्ति मोरचा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा, राज्य सरकार की मंशा साफ है। सरकार जल्द राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग में अध्यक्ष बनायेगी। ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया भी शुरू होगी। विपक्ष पहले विधायक दल का नेता चुन ले। अब तक विधायक दल का नेता नहीं चुन पाये।सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय निकायों में पिछड़ा वर्ग का आरक्षण तय करने के लिए ट्रिपल टेस्ट का फार्मूला दिया। इसके तहत राज्य के स्थानीय निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग के पिछड़ेपन की स्थितियों जिनमें आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक प्रकृति तथा प्रभाव का डेटा इकट्ठा करने के लिए एक विशेष आयोग का गठन किया जाना है। राज्य सरकार को इस विशेष आयोग की सिफारिशों के आधार पर नगर निगम और नगरपालिका चुनाव में आनुपातिक आधार पर आरक्षण देने का फैसला लेना है।
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