* राज्यवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की।*
पूनम की रिपोर्ट झारखण्ड
रजरप्पा में ‘माँ छिन्नमस्तिका मंदिर’ में पूजा-अर्चना की
मैं भारत माता के पवित्र चरणों को स्पर्श कर नमन करता हूँ।
मुझे आज यहां रजरप्पा के इस पावन स्थल पर आकर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। रजरप्पा एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है और देश भर से श्रद्धालु यहां ‘मां छिन्नमस्तिका मंदिर’ में पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। आज मुझे भी मंदिर में पूजा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। ‘माँ छिन्नमस्तिका’ से मैं प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि की कामना करता हूँ। माँ की कृपा सभी पर बनी रहे।
रजरप्पा दामोदर और भैरवी नदियों के संगम पर स्थित है, जो पहाड़ियों, झरनों और घने जंगलों से घिरा है। मंदिर परिसर का निर्माण नक्काशी और वास्तुकला के साथ अत्यंत खूबसूरती से किया गया है, जो क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है। यह धार्मिक स्थल सांस्कृतिक और प्राकृतिक केंद्र भी है। आध्यात्मिकता, इतिहास और प्राकृतिक सौंदर्य का अनूठा मिश्रण भक्तों को आकर्षित करता है।
‘दामोदर नदी’ झारखंड की जीवन रेखा है और एक पवित्र नदी के रूप में माना जाता है। झारखंड सहित जहां भी यह बहती है, उस पूरे क्षेत्र के लिए अत्यधिक महत्व रखती है। यह सिर्फ एक जल निकाय नहीं है, यह झारखंड के लिए जीवनदायिनी है, राज्य में जीवन के विभिन्न पहलुओं में इस नदी के महत्व को देखा जा सकता है। यह सिंचाई के लिए एक महत्वपूर्ण जल स्रोत के रूप में कार्य करता है तथा अनगिनत किसानों को लाभ प्रदान करता है।
पर्यावरण के क्षेत्र में हमेशा सतर्क रहने वाली संस्था युगांतर भारती द्वारा आयोजित “देवनाद दामोदर महोत्सव” में आप सभी के बीच सम्मिलित होकर मुझे प्रसन्नता हो रही है। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उल्लेखनीय पहल करने के लिए मैं झारखंड विधान सभा सदस्य श्री सरयू राय जी को बधाई देता हूँ।
दामोदर नदी का उद्गम स्थल चुल्हापानी गांव है। स्थानीय लोगों का मानना है कि चूल्हापानी देवताओं का निवास स्थान है। कई बिजली संयंत्र इसके ‘तेजी से बहने वाले पानी का उपयोग करते हैं और यह नदी आर्थिक विकास को गति देते हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बाद में यह देश की सबसे प्रदूषित नदियों में से एक बन गई है।
दामोदर भगवान विष्णु के सहस्रनाम में से एक है। यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि दामोदर महोत्सव के माध्यम से भगवान विष्णु स्वरुप इस पवित्र नदी की स्वच्छता के प्रति प्रेरित करने का प्रयास किया जा रहा है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि दामोदर नदी को प्रदूषण मुक्त करने की प्रतिबद्धता के साथ इस पावन दिवस पर दामोदर महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। दामोदर नदी को स्वच्छ बनाने के लिए किए जा रहे प्रयासों के लिए मैं श्री सरयू राय जी को शुभकामनाएं देता हूँ।
देवनाद दामोदर महोत्सव हमारी सांस्कृतिक विरासत का उत्सव है और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने का एक अवसर है। यह हमें दामोदर नदी और उसके पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करने, उसकी स्वच्छता सुनिश्चित करने और आने वाली पीढ़ियों के लिए सौंदर्य को संरक्षित करने की जिम्मेदारी का एहसास कराता है। हमारे परम आदरणीय माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने नदी संरक्षण के लिए कई उल्लेखनीय पहल किए हैं। उनमें में से एक नमामि गंगे परियोजना है, जिसका उद्देश्य पवित्र गंगा नदी को फिर से जीवंत करना है। एक अन्य महत्वपूर्ण पहल राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (NRCP) है, जिसका उद्देश्य पूरे भारत में प्रमुख नदियों को साफ और संरक्षित करना है। यह नदी संरक्षण में सार्वजनिक भागीदारी और जागरूकता के महत्व पर भी बल देता है।
इस नदी के स्वच्छता पर ध्यान देना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। एक जिम्मेदार नागरिकों के रूप में सबको दामोदर नदी का संरक्षक बनना चाहिए। हमें इसके जल के संरक्षण, इसके पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करने और अपने दैनिक जीवन में बेहतर प्रथाओं को बढ़ावा देने का प्रयास करना चाहिए।
एक बार पुनः आप सभी को मेरी ओर से बधाई। आप लोग यह कार्य करते रहें और राज्य की अन्य नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए प्रेरित करें।
जय हिन्द! जय भारत! जय झारखण्ड !
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