देश में फैशन का नकारात्मक एवं सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है युवाओं पर
बीसवी सदी के उतरार्द में पाश्चात्य सभ्यता के प्रभाव से समाज में खुलेपन की नीव पड़ीI फिर यह धन बटोरने के आशय से फिल्मों के द्वारा फैशनपरस्ती को बढ़ावा दिया गया
![Fashion in the country is having a negative and positive impact on the youth](https://asianewsindia.com/wp-content/uploads/2021/09/feat-780x470.jpg)
चाहे मेल हो या फिमेल
सभी की बदल गई पोजीशन
हाय हाय रे यह फैशन
ये फैशन आज का फैशन..
आज आम नागरिक भौतिकवादी प्रवृति से ग्रसित होकर जहाँ सब कुछ भोगना चाहता है, वही वह प्रगतिशील एवं नयेपन के नाम पर जिंदगी को फैशनपरस्ती में ढालना उचित मानता हैI यही कारण है कि आज का शिक्षित युवावर्ग नित्य नए फैशन शो की तरफ आकृष्ट रहता है| अब तो हर क्षेत्र में, हर वर्ग एवं समाज में उतरो तर फैशन परस्ती का मौह बढ़ता जा रहा हैI
बीसवी सदी के उतरार्द में पाश्चात्य सभ्यता के प्रभाव से समाज में खुलेपन की नीव पड़ीI फिर यह धन बटोरने के आशय से फिल्मों के द्वारा फैशनपरस्ती को बढ़ावा दिया गयाI प्रारम्भ में आये दिन महानगरों में रेम्प शों किये जाने लगे और दूरदर्शन के प्रत्येक चैनल पर उनका प्रतिदिन अधिकाधिक प्रचार होने लगा, तो उसके प्रभाव से फैशनपरस्ती का ऐसा नशा चढ़ा कि अब वह नशा उतरने की बजाय लगातार चढ़ता ही जा रहा है. इससे सारा सामाजिक जीवन फैशन की चपेट में आ गया हैI
वर्तमान काल में फैशन के विविध रूप देखने को मिल रहे है| विशेषत युवतियों एवं प्रोढ़ाएं नए नए विज्ञापनबाजी करती प्रतीत होती है.
युवा व प्रोढ़ व्यक्ति भी अब फैशनपरस्त हो गये है. चाहे भरपेट भोजन न मिले, रोजगार की सुव्यवस्था हो या न हो, पुरानी पीढ़ी के लोग दुत्कारते रहे, तो भी नई पीढ़ी फैशन परस्ती को सभ्य जीवन का श्रेष्ट प्रदर्शन मानने लगी हैI
आज दुनिया फैशन में अंधी हो चुकी है आज लड़के लंबी टांग और सीना चौड़ा रखने लगे हैं और हाथ में पीतल का कंगन भी पहनने लगे हैंI आज फैशनपरस्ती के कारण कई दुष्परिणाम दिखाई दे रहे है. अब धार्मिक क्रियाओं और अनुष्ठानों को दकियानूसी आचरण माना जाता है. युवक-युवतियों की वेशभूषा काम वासना को जाग्रत करने वाली बन गई है| हमारी संस्कृति एवं समाज पर इस फैशनपरस्ती का अत्यंत बुरा प्रभाव पड़ रहा हैI
समय के अनुसार स्वयं को ढालना ठीक है| परन्तु कोरे फैशन के मोह में पड़कर स्वयं को अंध पतन की ओर धकेलना ठीक नही है| सामाजिक जीवन में बढ़ते हुए फैशन का जो दुष्प्रभाव पड़ रहा है, वह प्राय सभी को ज्ञात हैI लेकिन इसका कोई विरोध नही कर पा रहा हैI अतएवं बढ़ती हुई फैशन परस्ती पर नियंत्रण रखना हमारा आवश्यक कर्तव्य बन गया हैI
फैशन सिर चढ़ बोल रहा
बढ़ रही हैं इसकी मोशन
हाय हाय रे यह फैशन
ये फैशन आज का फैशन