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कौन है Shantanu Naidu, जो बुढ़ापे में बना रतन टाटा का सहारा

हर जगह दिखते थे, जानें नेट वर्थ

कौन है Shantanu Naidu, जो बुढ़ापे में बना रतन टाटा का सहारा
हर जगह दिखते थे, जानें नेट वर्थ
पूनम की रिपोर्ट टाटा संस  के एक सफलतम चेयरमैन रहे रतन टाटा अब हमारे बीच नहीं हैं। उन्होंने कल ही रात में ब्रीच कैंडी अस्पताल में आखिरी सांस ली है। जब वह वाणप्रस्थ आश्रम में जीवन व्यतीत कर रहे थे तो उनके साथ अक्सर एक दुबला-पतला युवक दिखता था। आप जानते हैं कि कौन है वह युवक, जिनसे रतन टाटा भी अक्सर सलाह-मशविरा किया करते थे?

कौन है शांतनू नायडू

हम जिस पतले-दुबले से युवक की बात कर रहे हैं, उनका नाम है शांतनु नायडू। वह रतन टाटा के असिस्टेंट रहे हैं। महज 31 साल के शांतनू में कुछ तो खासियत रही होगी, जो कि दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा उनके साथ अपना समय गुजारते थे। देखा जाए तो रतन टाटा का 31 वर्षीय शांतनु नायडु खास जुड़ाव रहा है। हालांकि, रतन टाटा का इससे कोई पारिवारिक संबंध नहीं है।
ऐसे जुड़े रतन टाटा से

शांतनु नायडू टाटा ट्रस्ट के डिप्टी जेनरल मैनेजर के रूप में काम करते थे। उनकी प्रतिभा से रतन टाटा भी कायल थे। तभी तो रतन टाटा ने खुद फोन करके कहा था कि मेरे असिस्टेंट बनोगे। इसके बाद वह साल 2022 में रतन टाटा के ऑफिस में जीएम बन गए। शांतनु नायडू मुंबई के रहने वाले हैं। शांतनु नायडू का जन्म 1993 में महाराष्ट्र के पुणे में हुआ था। शांतनु, रतन टाटा को स्टार्टअप्स में निवेश के लिए बिजनेस टिप्स देते थे।

नायडू की काफी प्रसिद्वि

शांतनु नायडू की की देश भर में व्यवसायी, इंजीनियर, जूनियर असिस्टेंट, डीजीएम, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर, लेखक और उद्यमी के रूप में काफी प्रसिद्धि है। शांतनु नायडू ने बिजनेस इंडस्ट्री में एक ऐसा मुकाम हासिल किया है जो कई लोगों के लिए हमेशा एक सपना होता है। तभी तो वह रतन टाटा के अंतिम दिनों में साथी बने।

टाटा ट्रस्ट में कब से?

लिंक्डइन प्रोफाइल के मुताबिक शांतनु जून 2017 से टाटा ट्रस्ट में काम कर रहे हैं। इसके अलावा नायडू ने टाटा एलेक्सी में डिजाइन इंजीनियर के तौर पर भी काम किया है। वह सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहते हैं। एक बार उन्होंने फेसबुक पर आवारा कुत्तों के लिए रिफ्लेक्टर के साथ बनाए गए डॉग कॉलर के बारे में लिखा था। इस रिफ्लेक्टर की वजह से ड्राइवर उन्हें मुंबई की सड़कों पर देख सकें। इस पोस्ट पढ़ने के बाद रतन टाटा ने उन्हें एक मीटिंग के लिए बुलाया था। बस वह पसंद आ गए। इसके बाद मई 2022 से वह रतन टाटा के साथ काम करने लगे।

जानवर से प्रेम बनी वजह

शांतनु नायडू की रतन टाटा के साथ अप्रत्याशित दोस्ती जानवरों के प्रति उनके साझा प्रेम के कारण पनपी। दोनों की मुलाकात साल 2014 में हुई थी, जब नायडू ने आवारा कुत्तों को रात में कारों की टक्कर से बचाने के लिए रिफ्लेक्टिव कॉलर बनाए थे। उनकी पहल से प्रभावित होकर, टाटा संस के मानद चेयरमैन ने नायडू को उनके लिए काम करने के लिए आमंत्रित किया।

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