प्रियंका फिलिस्तीन के सपोर्ट वाला बैग लेकर संसद पहुंचीं
उस पर लिखा था- फिलिस्तीन आजाद होगा; बोलीं- मुझे क्या पहनना है, ये कोई रूढ़िवादी नहीं बताएगा
पूनम की रिपोर्ट कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी सोमवार को संसद में फिलिस्तीन के समर्थन वाला एक बैग लेकर पहुंची। इस पर लिखा है- ‘फिलिस्तीन आजाद होगा।’ हैंड बैग पर शांति का प्रतीक सफेद कबूतर और तरबूज भी बना था। इसे फिलिस्तीनी एकजुटता का प्रतीक माना जाता है।
इससे पहले जून 2024 में भी प्रियंका ने इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की आलोचना की थी। तब प्रियंका की टिप्पणी नेतन्याहू के अमेरिकी कांग्रेस को दिए भाषण में गाजा में चल रहे युद्ध का बचाव करने के बाद आई थी। तब उन्होंने कहा था कि गाजा में इजराइल सरकार ने क्रूरतापूर्वक नरसंहार किया है।
प्रियंका ने X पर लिखा था- सही सोच रखने वाले हर व्यक्ति और दुनिया की हर सरकार की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वे इजराइल सरकार के नरसंहार की निंदा करें और उन्हें रोकने के लिए मजबूर करें।फिलिस्तीन के 8 प्रतीक चिह्न ऐसे हैं, जो उनकी पहचान और इजराइल के लिए विरोध को दिखाते हैं। प्रियंका जो बैग लाईं थीं, उसमें कैफियेह, तरबूज, जैतून की शाखा, फिलिस्तीन कढ़ाई, शांति का प्रतीक का कबूतर बना हुआ है। बैग पर फिलिस्तीन झंडे का लाल, हरा, सफेद और काला रंग भी है।गाजा में इजराइल और हमास के बीच 1 साल से भी लंबे समय से जंग चल रही है। अब तक इजराइली हमलों में 45 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे गए हैं। इजराइली हमलों में अब तक हमास के दो चीफ इस्माइल हानियेह और याह्या सिनवार मारे जा चुके हैं। इसके बाद से गाजा में हमास के कोई नया नेता घोषित नहीं हुआ है।लोकसभा में सोमवार को प्रियंका गांधी ने प्रश्नकाल में सवाल किया। उन्होंने कहा- मैं सबसे पहले जिस मुद्दे पर चर्चा करना चाहती हूं, वह यह है कि इस सरकार को बांग्लादेश में हिंदू और ईसाई अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए, उनसे बातचीत करनी चाहिए और उनका समर्थन लेना चाहिए।
दूसरा मुद्दा यह है कि आज सेना के मुख्यालय से एक तस्वीर उतारी गई है, जिसमें पाकिस्तानी सेना भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर रही है। आज विजय दिवस है। सबसे पहले मैं 1971 के युद्ध में हमारे लिए लड़ने वाले वीर जवानों को नमन करना चाहती हूं।
प्रियंका ने कहा- बांग्लादेश में जो कुछ भी हो रहा था, बांग्लादेश के लोगों, हमारे बंगाली भाइयों और बहनों की आवाज कोई नहीं सुन रहा था। उस समय इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं, मैं उन्हें नमन करना चाहती हूं। उन्होंने सबसे कठिन परिस्थितियों में साहस दिखाया और ऐसा नेतृत्व दिखाया जिससे देश विजयी हुआ।
भारत का फिलिस्तीन को समर्थन भारत का रुख फिलिस्तीन के पक्ष में रहा है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में उस प्रस्ताव का समर्थन किया, जिसमें 1967 से कब्जाए गए पूर्वी यरुशलम सहित फिलिस्तीनी क्षेत्रों से इजराइल के हटने और पश्चिम एशिया में न्यायपूर्ण एवं स्थायी शांति की अपील की गई। इस प्रस्ताव को सेनेगल की ओर से पेश किया गया था, जिस पर 157 देशों ने सहमति जताई।
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