झारखंड में हेमंत सोरेन ने विश्वास मत जीता वहीँ विश्वास मत से पहले BJP ने सदन से वॉक-आउट कर दिया
ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में चुनाव आयोग की चिट्ठी मिलने के 11 दिन बाद भी राज्यपाल का कोई आदेश नहीं आया है,और राज्य की राजनीति में उथल-पुथल मची हुई थी।
वंदना लकड़ा की रिपोर्ट,रांची: ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में चुनाव आयोग की चिट्ठी मिलने के 11 दिन बाद भी राज्यपाल का कोई आदेश नहीं आया है,और राज्य की राजनीति में उथल-पुथल मची हुई थी , पुरे राज्य या कहे देश की जनता जानना चाहती थी की आखिर क्या हुवा झारखण्ड के हेमंत सरकार का , गलियों ऑफिस और घरों में इसी बात की चर्चा थी की हेमंत सरकार रहेगी या जाएगी , जनता पक्ष विपक्ष में भी तकरार हो रहे थे , लोग अपनी मन की बात फेसबुक व्ह्ट्सअप्प स्टेटस में जाहिर कर रहे थी इस मुद्दे को ले कर , और आखिर 11 दिन बाद इस बात का फैसला हो ही गया। हेमंत सोरेन ने अपने 32 विधायकों को एकजुट करने के लिए 30 अगस्त को रायपुर भेजा था। सभी रविवार को रांची लौट आए थे। सभी सर्किट हाउस से बस में सवार होकर विधानसभा पहुंचे।महागठबंधन के सभी विधायकों को बाड़ेबंदी से मुक्त कर दिया,वे सभी 30 अगस्त से ही बाड़ेबंदी में थे।
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पांच सितंबर (भाषा) झारखंड विधानसभा में सोमवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा पेश विश्वास प्रस्ताव पारित हो गया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों ने हालांकि सदन से बहिर्गमन किया। 81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा पेश विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 48 विधायकों ने मतदान किया। हेमंत सोरेन उस दौरान जम के बीजेपी पर बरसे और कहा की ‘‘जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें नहीं हैं वहां भाजपा लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित सरकारों को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है’’ और इसी कारण विश्वास मत हासिल करने की जरूरत महसूस की गई। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा चुनाव जीतने के लिए दंगे भड़का कर देश में ‘गृह युद्ध’ जैसे हालात पैदा करने की कोशिश कर रही है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि भाजपा की साजिशों का जवाब देने, लोकतंत्र को बचाने और राज्य की सवा तीन करोड़ जनता को संदेश देने के लिए यह प्रस्ताव लाया गया है। उन्होंने कहा जब से उनकी सरकार ने शपथ ली है, तभी से भाजपा दूसरी पार्टी के विधायकों की खरीद-फरोख्त की कोशिशों मे जुटी है। सीएम ने विश्वास प्रस्ताव पर अपने भाषण के दौरान झारखंड के राज्यपाल और चुनाव आयोग पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि राज्य के यूपीए नेताओं ने जब चुनाव आयोग से आये पत्र पर स्थिति साफ करने का आग्रह किया तो उन्होंने एक-दो दिनों में निर्णय लेने की बात कही, लेकिन इसके अगले ही दिन पिछले दरवाजे से दिल्ली निकल गये।