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फडणवीस बोले-अजित पवार दशकों तक हिंदू विरोधियों के साथ रहे

बंटेंगे तो कटेंगे' नारे में कुछ भी गलत नहीं, उन्हें समझने में थोड़ा वक्त लगेगा

फडणवीस बोले-अजित पवार दशकों तक हिंदू विरोधियों के साथ रहे
‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे में कुछ भी गलत नहीं, उन्हें समझने में थोड़ा वक्त लगेगा
प्रिया की रिपोर्ट महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के बीच डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि उद्धव ठाकरे के लिए भाजपा के दरवाजे बंद हो चुके हैं। महाराष्ट्र में पार्टी भविष्य में उनके साथ नहीं जाएगी। शिंदे को CM बनाने की जानकारी मुझे पहले से थी। मैं मुख्यमंत्री या अध्यक्ष किसी भी रेस में नहीं हूं।

फडणवीस ने कहा कि NCP (SP) चीफ शरद पवार परिवार और पार्टी तोड़ने के मामले में महारथी हैं। NCP और शिवसेना अपनी अति महत्वाकांक्षाओं के कारण टूटीं। उद्धव CM बनना चाहते थे, इसलिए उन्होंने हमसे नाता तोड़ लिया। मुख्यमंत्री बनने के बाद वे आदित्य ठाकरे को आगे लाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने एकनाथ शिंदे को सफोकेट करने की कोशिश की।

उन्होंने बंटेंगे तो कटेंगे नारे का महायुति और भाजपा में हो रहे विरोध पर कहा- मुझे योगी जी के नारे में कुछ भी गलत नहीं लगता। इस देश का इतिहास देख लीजिए, जब-जब इस देश को जातियों, प्रांतों और समुदायों में बांटा गया, यह देश गुलाम हुआ है।न तो मैं मुख्यमंत्री की दौड़ में हूं, न ही मैं अध्यक्ष की दौड़ में हूं। मैं ऐसी किसी दौड़ में नहीं हूं। भाजपा मेरा घर है, जीना यहां, मरना यहां, इसके सिवा जाना कहां। देवेंद्र फडणवीस ऐसा नट है जो कहीं भी फिट होता है, जहां भी पार्टी इस नट को फिट कर दे यह वहां फिट हो जाएगा।

फडणवीस ने कहा, ‘हमें पूरा भरोसा है कि हम अपनी सरकार बनाएंगे। जैसे ही नतीजे आएंगे, तीनों पार्टियां एक साथ बैठेंगी और तय करेंगी कि मुख्यमंत्री किसे बनाया जाए। मैं इस प्रक्रिया में नहीं हूं। मैं अपनी पार्टी में एक क्षेत्रीय नेता हूं, यह सब राष्ट्रीय अध्यक्ष तय करेंगे।’मुझे पहले दिन से पता था कि हम शिंदे जी को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। हम यह दिखाना चाहते थे कि उद्धव जी के साथ जो हुआ, वह सत्ता के लिए नहीं था। उस समय मैंने पार्टी से कहा था कि अगर मैं इस सरकार में शामिल होऊंगा तो लोग सोचेंगे कि यह आदमी पदों का इतना लालची है कि 5 साल मुख्यमंत्री रहा और वापस किसी और पद पर जा रहा है।

मेरी पार्टी भी सहमत थी, लेकिन बाद में जब शपथ ग्रहण समारोह का समय आया तो मेरे नेताओं ने मुझसे कहा कि अभी यह बहुत नाजुक सरकार है और ऐसे समय में एक अनुभवी व्यक्ति का सरकार में होना बहुत जरूरी है। इसलिए मैंने इसे अपना सम्मान समझा और सरकार में चला गया।

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