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आम लोगों से कू ऐप के जरिए जुड़ेंगी दो बड़ी मुस्लिम पार्टियां एआईएमआईएम और पीस पार्टी ने इंडियन सोशल ऐप पर बनाया अपना अकाउंट

उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों के पहले विपक्षी पार्टियों ने इंडियन माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म कू ऐप पर भाजपा सरकार की घेराबंदी शुरू कर दी है

UP Elections 2022: आम लोगों से कू ऐप के जरिए जुड़ेंगी दो बड़ी मुस्लिम पार्टियां, एआईएमआईएम (AIMIM) ) और पीस पार्टी ने इंडियन सोशल ऐप पर बनाया अपना ऑफिशियल अकाउंट

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) लगभग 100 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है

उत्तर प्रदेश ब्यूरो: उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों के पहले विपक्षी पार्टियों ने इंडियन माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म कू ऐप पर भाजपा सरकार की घेराबंदी शुरू कर दी है. विपक्षी दलों की सक्रियता को देखते हुए अब ऐसा लग रहा है कि उत्तर प्रदेश का चुनावी दंगल कू ऐप पर ही लड़ा जाएगा. उत्तर प्रदेश चुनावों में काफी सक्रीय दिख रही असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) उत्तर प्रदेश और पीस पार्टी ने अब कू ऐप पर अपना आधिकारिक अकाउंट बना लिया है. पार्टी की नजर इस क्षेत्रीय भाषा वाले माइक्रोब्लॉगिंग ऐप के जरिए वोटरों के बीच अपनी जगह बनाने पर है. अब साफ है कि मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाली ये दोनों पार्टियां कू ऐप के जरिए ही लोगों से संवाद करेंगी. आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ पहले से ही इस प्लेटफॉर्म पर काफी सक्रिय हैं.

कू ऐप पर पहले से ही सपा (Samajwadi Party), बसपा (Bahujan Samaj Party), कांग्रेस(Congress), आम आदमी पार्टी (Aam Admi Party), आजाद समाज पार्टी (Azad Samaj Party), सुहैलदेव भारतीय समाज पार्टी और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के कई बड़े नेता जुड़ चुके हैं. जानकारों का कहना है कि भाजपा सरकार पर हमलावर रहने वाले एआईएमआईएम (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी जल्द ही इस प्लेटफॉर्म से जुड़ सकते हैं. आपको बता दें कि असदुद्दीन ओवैसी ने हाल ही में ये ऐलान किया था कि वो भाजपा-कांग्रेस को छोड़ कर किसी भी अन्य दल के साथ गठबंधन के लिए तैयार हैं. ऐसे बड़े ऐलान के बाद एआईएमआईएम (AIMIM) उत्तर प्रदेश का कू ऐप पर आना ये साफ जाहिर करता है कि पार्टी इस चुनाव में सोशल मीडिया के जरिए सफलता का रास्ता तलाश रही है.

एआईएमआईएम (AIMIM) और पीस पार्टी ने क्योंचुना कू ऐप?

कू ऐप एक इंडियन माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म है जिस पर उत्तर प्रदेश की जनता भारी संख्या में मौजूद है और क्षेत्रीय भाषा में अपनी राय और सवाल लिख रही है.कू ऐप पर उत्तर प्रदेश के युवाओं की संख्या भी काफी ज्यादा है और ये जागरुक युवा इस स्वदेशी ऐप के जरिए हिंदी में अपने सवाल नेताओं से पूछते हैं, अपने इलाके की परेशानियों के लिए आवाज उठाते हैं. एआईएमआईएम (AIMIM) और पीस पार्टी ने इस मौके को अच्छी तरह से समझ लिया है और इसलिए उन्होंने इस माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म को चुना है.

दलित और मुस्लिम वोटरों पर है नजर

उत्तर प्रदेश में दलित और मुस्लिम वोटरों की संख्या काफी निर्णायक है और चुनाव में इस वर्ग की भूमिका काफी अहम होती है. एआईएमआईएम (AIMIM) और पीस पार्टी की नजर आमतौर पर मुस्लिम और दलित वोटरों को रिझाने पर है जिसके लिए उन्होंने इस क्षेत्रीय भाषा वाले प्लेटफॉर्म को चुना है. इन दोनों दलों के अलावा आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर आजाद, बहुजन समाज पार्टी के सतीष चंद्र मिश्रा, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ओम प्रकाश राजभर पहले से ही कू ऐप पर काफी सक्रीय हैं और आम लोगों से संवाद कर रहे हैं.

कू ऐप पर एआईएमआईएम (AIMIM) की सक्रीयता

एआईएमआईएम (AIMIM) पार्टी उत्तर प्रदेश ने Koo पर@ AIMIM upofficalहैंडल के साथ अपना आधिकारिक अकाउंट बनाया है. पार्टी के समर्थकों ने अब कू ऐप के जरिए पार्टी से जुड़ना शुरू कर दिया है. इसके पहले एआईएमआईएम (AIMIM) बिहार ने कू ऐप ज्वाइन किया था और उनके कई बड़े नेता भी कू ऐप पर आ चुके हैं. बताते चलें कि बिहार विधानसभा चुनावों में एआईएमआईएम (AIMIM) ने अपने 20 उम्मीदवार उतारे थे जिनमें से 5 उम्मीदवारों को जीत हासिल हुई थी. पार्टी की मुस्लिम और दलित वोटरों के बीचकाफी लोकप्रियता है और अब सूत्रों की मानें तो जल्द ही पार्टी के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी भी इस इंडियन माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म से जुड़ सकते हैं.

हिंदी सोशल मीडिया यूजर्स पर है सबकी नजर

तेजी से लोकप्रिय हो रहे स्वदेशी माइक्रोब्लॉगिंग साइट Koo ने ये ऐलान किया था कि उसके 1 करोड़ से ज्यादा यूजर्स हो गए हैं जिनमें से करीब आधे यूजर्स हिंदी के हैं. ऐसे में ये साफ है कि बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश के लोग Koo पर हैं और हिंदी में अपनी बात रख रहे हैं. बीजेपी ने इस बात को पहले ही भांप लिया था और इस प्लेटफॉर्म से जुड़ गए थे. चुनाव को नजदीक आता देख विपक्ष भी इस बात को समझ गया है कि उत्तर प्रदेश के सत्ता का रास्ता हिंदी के साथ चल कर ही तय किया जा सकता है और यही वजह है कि अब सभी विपक्षी पार्टियों ने Koo का रुख कर लिया है. जानकारों की मानें तो इस स्वदेशी सोशल मीडिया ऐप पर यूपी चुनाव का घमासान देखने को मिलेगा.

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