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पीड़िता की फैमिली बोली- पुलिस और अस्पताल ने सबूत मिटाने की कोशिश की

सीएम जिम्मेदारी से बच नहीं सकतीं

पीड़िता की फैमिली बोली- पुलिस और अस्पताल ने सबूत मिटाने की कोशिश की
सीएम जिम्मेदारी से बच नहीं सकतीं
प्रिया की रिपोर्ट कोलकाता रेप-मर्डर मामले में पीड़िता की फैमिली ने पुलिस और अस्पताल पर सबूत मिटाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। लड़की के माता-पिता ने शुक्रवार को कहा कि पुलिस और अस्पताल के अधिकारियों ने उनकी बेटी के दुष्कर्म और हत्या के सबूत नष्ट करने की कोशिश की। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इसकी जिम्मेदारी लेने से बच नहीं सकती हैं।लड़की की फैमिली ने आगे कह कि मुख्यमंत्री इस बात की जिम्मेदारी से नहीं बच सकतीं कि कोलकाता पुलिस, अस्पताल और प्रशासन क्यों विफल रहे। मुख्यमंत्री को यह बताना चाहिए कि क्यों अपराध स्थल को सील नहीं किया गया और क्यों बड़ी संख्या में लोगों को वहां जाने दिया गया, जिससे सबूत नष्ट हो गए।लड़की के माता-पिता ने आरोप लगाया कि सीबीआई और कोलकाता पुलिस ने जांच को कमजोर किया ताकि कुछ लोगों को बचाया जा सके।29 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई 29 जनवरी को होगी। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच इस मामले को सुनेगी।सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेकर खुद संज्ञान लिया था। सुप्रीम कोर्ट ट्रेनी डॉक्टर के माता-पिता की याचिका पर भी सुनवाई करेगा, जिसमें उन्होंने कहा था कि वे CBI की जांच से सहमत नहीं है। उन्होंने केस की फिर से जांच कराने की मांग की थी।इससे पहले 20 जनवरी को सेशंस कोर्ट ने संजय रॉय को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। साथ ही 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। कोर्ट ने कहा कि यह रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामला नहीं है, इसलिए फांसी की सजा नहीं दे सकते।

सियालदह कोर्ट के फैसले के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार हाईकोर्ट पहुंची। सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए कहा- संजय रॉय को उम्रकैद नहीं बल्कि फांसी की सजा होनी चाहिए।ट्रेनी डॉक्टर का रेप-मर्डर केस 3 अदालतों में, लोअर कोर्ट में फैसला आया आरजी कर रेप-मर्डर केस निचली अदालत के साथ-साथ हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है। दरअसल, कलकत्ता हाईकोर्ट में कई जनहित याचिकाओं के साथ पीड़ित के माता-पिता ने भी याचिका दायर की थी। इनमें कोलकाता पुलिस पर अविश्वास जताते हुए CBI जांच की मांग की गई थी। इस पर कोर्ट ने 13 अगस्त को मामले में CBI जांच के आदेश दिए थे।

वहीं, देशभर में डॉक्टरों के प्रदर्शन और हड़ताल के बाद 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने खुद एक्शन लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की सिक्योरिटी की कमी पर चिंता जताई थी। डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर टास्क फोर्स बनाने का निर्देश दिया था।

साथ ही सुप्रीम कोर्ट पूरे मामले की निगरानी कर रहा है। CBI ने 10 दिसंबर, 2024 को सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दी थी। जिसमें बताया था कि सियालदह कोर्ट में रेगुलर सुनवाई हो रही है। उस समय 81 में से 43 गवाहों से पूछताछ हो चुकी थी।

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