बचपन में यात्रा करना शिक्षा का एक भाग है, एवं बड़े होने पर यह अनुभव का एक भाग हैI
यात्रा में आरंभ और कायाकल्प कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैI यह हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव भी लाता है और हमें जीवित और सक्रिय भी रखता हैI यात्रा में उन चीजों का व्यावहारिक अनुभव देती है जो हमें किताबों में पड़ी है और इंटरनेट पर सर्च की हैI तुझे व्यक्ति बिल्कुल यात्रा नहीं करता है उसे गंगा नदी या इंडिया गेट के नाम से कोई मतलब नहीं हैI कुछ लोग अलग तरह से भी सोचते हैं उनके लिये चर्च एवं मठों में जाना, महल एवं किलों में जाना पुरातन एवं खंडहरों में एवं पुस्तकालय एवं विश्वविद्यालयों में जाना केवल समय ही बरबादी है।
वह यह भी कहते हैं कि व्यक्ति इनके बारे में पढ़ सकता हैं अथवा तस्वीरें देख सकता है जिनमें विश्व की महत्वपूर्ण जगहों को देखा जा सकता है । किन्तु वह भूल जाते हैं कि सत्य को पास से देखने उसे छूने एवं महसूस करने से एक अलग प्रकार की सन्तुष्टि एवं रोमांच की अनुभूति होती हैI यात्रा के समय हम भिन्न-भिन्न लोगों से मिलते हैं । मनोविज्ञान में रुचि रखने वाले व्यक्तियों को दूसरों को समझने का अनुभव एवं दृष्टि प्राप्त होती है । मनुष्य के स्वभाव को समझ पाना सर्वोतम शिक्षा है। यात्रा का शौक रखना बहुत लाभदायक है इससे हम व्यस्त रहते हैं, शिक्षा प्राप्त होती है एवं हमारे शरीर एवं मन को नयी ऊर्जा प्रदान होती हैI
विभिन्न स्थानों की यात्रा करने से हमारा अनुभव बढ़ता है और कष्ट सहन करने तथा स्वावलम्बी बनने का अवसर मिलता है।
कुछ दिनों के लिए दैनिक कार्यचक्र से मुक्ति मिल जाती है,जिससे जीवन में आनन्द की लहर दौड़ जाती है। यात्रा करने से विभिन्न जातियों व स्थानों के रीति-रिवाजों, भाषाओं आदि से हम परिचित हो जाते है। यात्रा करने से मनोरंजन होता है । जीवन स्वयं एक यात्रा है। इस यात्रा का जितना अंश यात्रा में बीते, वही हितकर है। यात्रा करने से मनोरंजन के साथ-साथ अन्य कई प्रकार के लाभ भी होते है। बाहर जाने के कारण साहस, स्वावलम्बन , कष्ट सहिष्णुता की क्रियात्मक शिक्षा मिलती है।
परस्पर सहयोग की भावना बढ़ती है। निराश जीवन में आशा का संचार हो जाता है, अनुभव की वृद्धि होती है। इस प्रकार यात्रा करने का जीवन में अत्यधिक महत्त्व है।