रायपुर के जगमगाते मंदिरों में उमड़ी भक्तों की भीड़; कोलकाता के कारीगरों ने फूलों से की सजावट
भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की खुशियां मना रहा पूरा छत्तीसगढ़। रायपुर शहर के मंदिरों में गूंजा नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की
भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की खुशियां मना रहा पूरा छत्तीसगढ़। रायपुर शहर के मंदिरों में गूंजा नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की। प्रदेश के सभी कृष्ण मंदिरों और दूसरे मंदिरों में भी सुबह से ही उत्सव का माहौल है। रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग-भिलाई के मंदिर फूलों, झांकियों, बिजली की झालरों से जगमगा रहे हैं। मंदिरों में भजन-कीर्तन गूंज रहे हैं और कान्हा के लिए 56 भोग सज गए हैं। सभी को इंतजार है रात 12 बजे का जब ईश्वर श्रीकृष्ण रूप में जन्म लेंगे। उस समय जबरदस्त आतिशबाजी होगी और आरती के स्वर माहौल को पवित्र कर देंगे।
रायपुर में जन्माष्टमी का उत्साह, जन्में कन्हैया
शहर में जन्माष्टमी का माहौल कुछ -कुछ वैसा ही है जैसा कोविड-19 के पहले सामान्य समय में देखने को मिलता था। अभी मंदिरों में उतनी भीड़ नहीं है, जितनी 2 साल पहले हुआ करती थी। लोगों में संक्रमण को लेकर सतर्कता है, लेकिन जन्माष्टमी का त्योहार मनाने की उत्सुकता और जोश लोगों में दिख रहा है। मंदिर में लोग लगातार दर्शन करने पहुंच रहे हैं। सभी मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन किया गया है। लोग बाल गोपाल को झूला झूलाने की रस्म भी निभा रहे हैं।
सोमवार की रात घड़ी ने जैसे ही 12 बजाए, नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की… जैसे जयकारों के बीच कृष्ण जन्म का उत्सव मनाया गया। मठ-मंदिरों में जहां शंख ध्वनि और मंत्रोच्चार के साथ श्रीकृष्ण की आरती हुई, तो घरों में कान्हा के साथ उनके सात भाइयों की भी पूजा की गई। इसके लिए पूजा कमरे की दीवारों पर आठ बाल चित्र बनाए गए थे। संभवत: छत्तीसगढ़ इकलौता राज्य है जहां जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण के साथ उनसे पहले जन्म लेने वाले सात भाईयों की पूजा का भी विधान है।
इस्कॉन मंदिर में राधा-कृष्ण का श्रृंगार करने के लिए वृंदावन से विशेष पोशाक मंगवाई गई है। सोमवार सुबह 7 बजे श्रृंगार आरती के बाद 8 बजे से भक्त भगवान के दिव्य स्वरूप का दर्शन कर सकेंगे। आयोजन समिति के राजेंद्र पारख ने बताया कि सुबह 4.30 बजे मंगल आरती होगी। रात 11 बजे भगवान का महाभिषेक किया जाएगा। रात 12 बजते ही जन्मोत्सव मनाया जाएगा। भगवान को 56 भोग अर्पित करेंगे।