भारतीय वायुसेना को मिलेंगे 6 ‘आई इन द स्काई’ विमान, 11,000 करोड़ के सौदे को केंद्र की मंज़ूरी

डीआरडीओ द्वारा बनाया जाने वाला ये रडार मौजूदा AESA रडार का आधुनिक संस्करण होगा, जो आईएएफ द्वारा पहले से तैनात दोनेत्रा हवाई चेतावनी विमानों में स्थापित किया गया है.

दिल्ली ब्यूरो : भारतीय वायुसेना को मिलेंगे 6 ‘आई इन स्काईविमान मिलेंगे. इसके लिए केंद्र ने 11000 करोड़ के बड़े सुरक्षा सौदे कोमंजूरी दे दी है. इसके तहत 6 नए एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल विमान तैयार किए जाएंगे. भारतीय वायुसेना अत्याधुनिक तकनीक सेलैस  इस सिस्टम को अपने बेड़े में शामिल करने को तैयार है.  इस सौदे को  सुरक्षा कैबिनेट कमेटी ने बुधवार को हरी झंडी दे दी है. इन्हेंआकाश में भारत की आंख के तौर पर देखा जा रहा है. डीआरडीओ द्वारा बनाए जा रहे इस रडार को एयर इंडिया के -321 में फिटकिया जाएगा.

डीआरडीओ द्वारा बनाया जाने वाला ये रडार मौजूदा AESA रडार का आधुनिक संस्करण होगा, जो आईएएफ द्वारा पहले से तैनात दोनेत्रा हवाई चेतावनी विमानों में स्थापित किया गया है. भारतीय वायु सेना रूस से खरीदे गए 3 बड़े A -50 EI विमानों को भी संचालितकरती है, जो इज़राइली EL/W -2090 ‘फाल्कनरडार सिस्टम से सुसज्जित है.

A-321 विमान में लगाने के लिए जो अत्याधुनिक रडार भारतीय वायुसेना को दिए जाएंगे, ये विमान के चारों और सैंकड़ों किलोमीटर केहवाई क्षेत्र में 360 डिग्री कवरेज सुनिश्चित करेंगे. ये रडार आईएएफ के मौजूदा नेत्र जेट की क्षमता से अधिक शक्तिशाली होंगे.

एयरबॉर्न वार्निंग एयरक्राफ्ट ने उस समय अधिक ध्यान खींचा, जब भारतपाकिस्तान सीमा पर एयर स्पेस में संघर्ष बढ़ गया था. पाकिस्तान की ओर से हो रहे हमलों को रोकने के लिए भारतीय वायुसेना के फाइटर्स बहुत हद तक IAF नेत्रा और A-50 जेट पर निर्भरहैं, जो कि पाकिस्तान की ओर से की जाने वाली गतिविधियों पर नजर रखते हैं. विंग कमांडर वर्धमान ने भी पाकिस्तानी वायुसेना केविमान F-16 को मार गिराया था, जिसे इसी रडार के जरिए इंटरसेप्ट किया गया था. इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में सात साल का समयलगेगा और पहला A-321 एयरक्राफ्ट को इस पूरी तकनीक के साथ वायुसेना के बेड़े में शामिल करने में चार साल का समय लगेगा.

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