स्कूल में गन लेकर चलते थे ‘अनुपमा’ के सुधांशु पांडे

लड़कियां अंडरगारमेंट उछालती थीं; डिप्रेशन में महाकाल की शरण ली

स्कूल में गन लेकर चलते थे ‘अनुपमा’ के सुधांशु पांडे
लड़कियां अंडरगारमेंट उछालती थीं; डिप्रेशन में महाकाल की शरण ली
प्रिया की रिपोर्ट एक्टर सुधांशु पांडे को यह जेनरेशन टीवी शो अनुपमा की वजह से जानती होगी। कुछ लोगों ने उन्हें रजनीकांत की फिल्म 2.0 में भी देखा होगा। हालांकि, सुधांशु की असल पहचान इससे नहीं है। 90 के दशक में जब मॉडल्स का दौर हुआ करता था, तब सुधांशु पांडे इंडस्ट्री के चुनिंदा सुपरमॉडल्स में से एक थे। जॉन अब्राहम जैसे बड़े एक्टर भी इनके जूनियर थे। ऐश्वर्या राय बच्चन भी इनके लुक की तारीफ करती थीं।

सुधांशु पांडे का जन्म बदायूं में हुआ, लेकिन घर गोरखपुर में था। पढ़ाई बरेली में हुई। रौब ऐसा कि स्कूल में गन लेकर चलते थे। सुधांशु की कदकाठी इन्हें दूसरों से अलग बनाती थी। 18 साल की उम्र में मॉडलिंग करने लगे। फिर अक्षय कुमार की फिल्म खिलाड़ी 420 में पैरलल लीड रोल मिला।

फेमस बैंड ग्रुप ‘बैंड ऑफ बॉयज’ का भी हिस्सा थे। लड़कियां इनकी दीवानी थीं। इन्हें स्टेज पर देख अंडरगारमेंट तक फेंक देती थीं। सब कुछ ठीक चल रहा था, तभी खुद के ऊपर ज्यादा प्रेशर लिया। डिप्रेशन में आ गए। उज्जैन में महाकाल की शरण में गए।स्कूल में लोडेड गन लेकर चलते थे मैं स्कूल टाइम में बहुत बदमाशी करता था। यूं कहें कि गुंडागर्दी बहुत करता था। 15 साल की उम्र में लोडेड रिवॉल्वर लेकर चलता था। माहौल ऐसा था कि जब तक आप कुछ खतरनाक न करें, इज्जत नहीं मिलेगी।

मेरे पास एक बाइक थी। उसी की गद्दी में गन छिपाकर रखता था। स्कूल में आधे लड़कों को मेरे लुक से प्रॉब्लम थी। उन्हें समस्या थी कि मैं अकड़ कर क्यों चलता हूं। मैं स्टाइल में बाइक क्यों चलाता हूं। छोटी-छोटी बातों में लोग दुश्मनी मोल ले लेते थे।

18 साल की उम्र में मॉडलिंग, 25000 फीस खैर, मैं 18 साल का हुआ। एक दिन अखबार में दिल्ली बेस्ड मॉडलिंग एजेंसी का ऐड देखा। उन्हें एक मॉडल की तलाश थी। मेरे भाई ने मुझे इसमें जाने के लिए प्रोत्साहित किया। पिताजी ने भी सपोर्ट किया।

मैं पठानी सूट और घुंघराले बालों के साथ दिल्ली चला गया। वहां मेरी फोटो खींची गई। कुछ दिन बाद वापस बुलाया गया। उन्होंने मुझे सिलेक्ट कर लिया और 25000 रुपए फीस देने की भी बात की। यह बात 1994 की है। 25000 रुपए तो मेरे पिताजी की भी सैलरी नहीं थी। मैं पूरी तरह शॉक्ड था।सुधांशु का दिल्ली में मॉडलिंग करियर ठीक चल रहा था। अचानक उन्होंने मुंबई जाने का फैसला किया। वे कहते हैं, ‘मुंबई जाने का फैसला तो कर लिया, लेकिन वहां मेरा कोई अपना नहीं था। रहने-खाने की कोई व्यवस्था नहीं थी।

मॉडलिंग की वजह से मेरी और डिनो मोरिया (एक्टर) की अच्छी दोस्ती हो गई थी। वे बैंगलोर में रहते थे और मैं दिल्ली में। हम दोनों मुंबई में साथ रहने की प्लानिंग कर रहे थे। हालांकि, इसी बीच मैंने शादी कर ली। तब डिनो को अकेले ही जाना पड़ा क्योंकि मैं अपनी पत्नी के साथ शिफ्ट होने वाला था।’

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