डीयू के पूर्व प्रोफेसर साईबाबा की रिहाई पर रोक, SC ने चार हफ्ते के भीतर मांगा जवाब
माओवादियों से जुड़ाव के मामले में दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर जी. एन. साईबाबा को बंबई हाईकोर्ट ने शुक्रवार को बरी कर दिया था.
कृतिका कुमारी की रिपोर्ट, दिल्ली: माओवादियों से जुड़ाव के मामले में दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर जी. एन. साईबाबा को बंबई हाईकोर्ट ने शुक्रवार को बरी कर दिया था. हाईकोर्ट के इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने भी रोक लगाने से इनकार कर दिया था. हालांकि आज शीर्ष अदालत ने फैसले को पलट दिया और डीयू के पूर्व प्रोफेसर साईबाबा तथा अन्य आरोपियों की जेल से रिहाई पर रोक लगा दिया. सुप्रीम कोर्ट ने साईबाबा और अन्य आरोपियों से उन्हें बरी करने संबंधी बंबई हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की अपील पर चार हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है.
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कोर्ट ने साईबाबा की उस याचिका को भी खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने अपनी स्वास्थ्य स्थिति के कारण उन्हें घर में नजरबंद करने का अनुरोध किया था. कोर्ट ने शनिवार को यह साफ किया कि साईबाबा को मुकदमे की योग्यता के आधार पर बरी नहीं किया गया, बल्कि उन्हें तकनीकी आधार पर छोड़ा गया. सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी साईबाबा समेत अन्य आरोपियों को बरी किए जाने के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की अपील मान ली और नोटिस जारी कर दिया.