पेट्रो उत्पाद की कीमत घटने के बाद भी नहीं घटा किराया
पेट्रो उत्पाद की कीमत में कमी के साथ एक बार फिर महंगाई का मुद्दा गरमाने लगा है, दरअसल महंगाई की मार सिर्फ खाद्य पदार्थों पर नहीं पड़ी है।
जुली कुमारी की रिपोर्ट, रांची: पेट्रो उत्पाद की कीमत में कमी के साथ एक बार फिर महंगाई का मुद्दा गरमाने लगा है। दरअसल महंगाई की मार सिर्फ खाद्य पदार्थों पर नहीं पड़ी है बल्कि वैसे लोग जो प्रतिदिन बस वे आटो से अपने गंतव्यों की ओर आते-जाते हैं उनके लिए किराया महीने के अंत तक बड़ा बजट बन जाता है। ऐसे में पेट्रोल • डीजल की कीमत में कमी आने से आमजनों ने वाहनों के किराये को भी घटाए जाने की उम्मीद की है। लोगों का कहना है कि जब पेट्रोल डीजल की कीमत बढ़ती है तो वाहन चालक आराम से किराया बढ़ा देते हैं लेकिन जब कीमत घटती है तो किराये में कमी नहीं लाई जाती है।
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वहीं दूसरी ओर तमाम बस संचालकों व आटो चालकों का कहना है कि जब पेट्रोल डीजल की कीमत 91 रुपये के आसपास थी। उसी वक्त हम लोगों ने किराया बढ़ाया था लेकिन अब पेट्रो उत्पादों की कीमत घटाए जाने के सापेक्ष किराया यथावत है, इसमें बढोत्तरी नहीं की गई है। बस संचालकों का कहना है कि हमें डीजल के अलावा तिमाही रोड टैक्स व एडिशनल टैक्स के तौर पर 90 दिनों में 12 हजार रुपये जमा करने होते हैं जो कि अनिवार्य होता है। वहीं टोल टैक्स के नाम पर प्रति फेरी 1500 रुपये भी देने होते हैं। जबकि अन्य राज्यों में पब्लिक सर्विस बसों से टाल टैक्स नहीं लिया जाता है। किराया बढ़ने से लोग परेशान हैं।