लखीमपुर खीरी कांड : योगी सरकार की रिर्पोट से नाखुश SC, लगाई फटकार
प्रीति कुमारी की रिर्पोट लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा पर दायर 1 स्टेट्स रिपोर्ट पर निराशा नाराजगी जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट ने जांच की प्रगति को लेकर अप्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि यह हमारी अपेक्षा के अनुरूप नहीं हो रही है, और इसी के साथ ही ये भी कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दायर स्टेट्स रिपोर्ट में कहने के अलावा कुछ भी नहीं है कि और गवाहों से पूछताछ की गई है। कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच हाईकोर्ट के जज की निगरानी में कराने का सुझाव दिया और उत्तर प्रदेश सरकार से शुक्रवार तक अपना रुख स्पष्ट करने को कहा। बता दे लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में एक स्थानीय पत्रकार सहित आठ लोग मारे गए थे।
बता दे सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए यूपी सरकार से पूछा कि केवल आशीष मिश्रा का ही फोन क्यों जप्त किया गया है बाकी औरो का क्यों नहीं? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए ही केस में सबूतों का कोई घालमेल ना हो, हम मामले की जांच की निगरानी के लिए एक अलग उच्च न्यायालय के रिटायर्ड जज को नियुक्त करने के इच्छुक हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति रंजीत सिंह सेवानिवृत्त लखीमपुर खीरी जांच की देखरेख कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में अलग-अलग एफआई आर में गवाहों की मिलीभगत पर असंतोष व्यक्त किया और चल रही जांच की निगरानी के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के एक पूर्व न्यायधीश को नियुक्त करने का प्रस्ताव भी रखा है।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिंसा कोहली की पीठ ने सुनवाई की। इससे पहले इसी पीठ ने 26 अक्टूबर को न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के गवाहों को संरक्षण प्रदान करने का निर्देश दिया था, और तो और न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को मामले के अन्य गवाहों के बयान दंड प्रक्रिया संहिता सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज करने का भी निर्देश दिया था और डिजिटल साक्षर को विशेष द्वारा जांच कराने को कहा था।
बता दे शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को एक पत्रकार की और श्याम सुंदर नाम एक व्यक्ति की भीड़ द्वारा कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या के मामले में रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था, अधिवक्ताओं ने प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर लखीमपुर खीरी मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की थी इसी पृष्ठभूमि में न्यायालय मामले की जांच कर रहा है।
राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने 26 अक्टूबर को पीठ को बताया था कि 68 गवाहों में से 30 के बयान सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किए जा चुके हैं और अन्य कुछ के बयान भी दर्ज किए जाएंगे, इन 30 गवाहों में से 23 में चश्मदीद होने का दावा किया है।