राँची एवं विज्ञान भारती, झारखंड द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव में माननीय राज्यपाल महोदय
दिनांक 6 अप्रैल, 2022 को राँची विश्वविद्यालय, राँची एवं विज्ञान भारती, झारखंड द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में माननीय राज्यपाल महोदय का सम्बोधन:-
राष्ट्रीय सेवा योजना, राँची विश्वविद्यालय, राँची एवं विज्ञान भारती, झारखंड द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में आकर मुझे अपार हर्ष हो रहा है। आज पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। आज़ादी का अमृत महोत्सव का अर्थ है, आज़ादी के उपरांत उपलब्धियों के अमृत का आनन्द, आगामी योजनाओं के संकल्प को पूर्ण करने के जोश व जज्बे का अमृत, आज़ादी की ऊर्जा का अमृत, स्वतंत्रता सेनानियों की प्रेरणा का अमृत, आज़ादी का अमृत महोत्सव अर्थात् नए विचारों का अमृत, नए संकल्पों एवं परिकल्पनाओं का अमृत, आत्मनिर्भरता का अमृत। आज़ादी का अमृत महोत्सव भारतीय मनीषियों के ज्ञान-विज्ञान, चिन्तन व दर्शन का अमृत, भारतीय वैज्ञानिकों की व्यापक सोच व दृष्टि, उनकी अकूत उपलब्धियों का अमृत, जिन्होंने मानव जाति को सिंचित किया एवं स्वतंत्र भारत को समृद्ध किया। हमें अपनी वैज्ञानिक उपलब्धियों पर गर्व है।
आजीविका के लिए कृषि की तकनीक को सीखकर मानव ने विज्ञान के साथ सांमजस्य स्थापित कर अपने जीवन को आगे बढ़ाया। हमारे जीवन के हर क्षेत्र में विज्ञान की उपस्थिति दर्ज़ है। हमारे भारतीय वैज्ञानिकों ने अपनी लगन और अथक परिश्रम से जो उपलब्धियां हासिल की हैं, उन पर हम देशवासियों को गर्व है। देश ने साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में कई कीर्तिमान स्थापित किए। तकनीकी विकास ने आम लोगों के जीवन को सुविधाजनक बनाने की राह तैयार की। इस दौरान भारत ने न सिर्फ उपग्रहों का निर्माण किया, बल्कि चंद्रमा और मंगल पर अपने यान भेजे। परमाणु ऊर्जा केंद्र स्थापित किए और परमाणु हथियार बनाने की क्षमता भी हासिल की। मिसाइल के क्षेत्र में भी अपनी अद्भुत क्षमता का प्रदर्शन किया। अंतरिक्ष उपगृहों की मदद से हमने प्रकृति के स्वभाव एवं मौसम के मिजाज को भी जान लिया है।
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हम भारतवासियों के लिए यह गर्व की बात है कि हमारे देश ने प्राचीन काल से ही पूरी दुनिया को ज्ञान-विज्ञान का आधार दिया। सुश्रुत प्राचीन भारत के प्रसिद्ध चिकित्साशास्त्री तथा शल्य चिकित्सक थे। इन्हें ‘’शल्य चिकित्सा का जनक” माना जाता है। सुश्रुत ने प्रसिद्ध चिकित्सकीय ग्रंथ ‘सुश्रुत संहिता’ की रचना की थी। इस ग्रंथ में शल्य क्रियाओं के लिए आवश्यक यंत्रों व साधनों तथा उपकरणों आदि का विस्तार से वर्णन किया गया है। उन्होंने एक व्यक्ति की टूटी हुई नाक की आज की आधुनिक प्लास्टिक सर्जरी के तर्ज पर लगभग 2500 साल पहले प्लास्टिक सर्जरी की और उनको सफलता मिली। ऋषि कणाद ने परमाणु के संबंध में विस्तार से लिखा है। अश्विन कुमार और ऋषि भारद्वाज अंतरिक्ष वैज्ञानिक थे। भारत वैसे ही विश्व गुरु नहीं कहा जाता था। हमने दुनिया को अपने ज्ञान-विज्ञान से जीना सिखाया, मानव-कल्याण का मार्ग दिखाया। इतिहास में इसकी सुनहरी कहानी का उल्लेख किया गया है। तक्षशिला, नालंदा जैसे प्रख्यात व विश्वप्रसिद्ध विश्वविद्यालय थे, जहाँ पूरे विश्व के विद्यार्थी ज्ञान हासिल करने आते थे।
आर्यभट्ट, वराहमिहिर, ब्रह्मगुप्त, चरक, बौधायन आदि जैसे कई प्राचीन वैज्ञानिकों, विद्वानों, ऋषियों ने पूरे विश्व में ख्याति अर्जित की। ऐसे सभी महान वैज्ञानिकों के ग्रंथों पर शोध किया जाना चाहिए। विदेशों में इन वैज्ञानिकों के ग्रंथों पर शोध किया जाता रहा है। हमारे देश की समृद्ध ज्ञान-विज्ञान की उपलब्धियों के संदर्भ में हम सब जानते हैं कि भारत ने दुनिया को जीरो (शून्य) दिया, जिससे गिनती संभव हो सकी। शून्य दुनिया में होने वाले कुछ महान अविष्कारों में से एक है और इसका श्रेय भारत को जाता है। यदि शून्य का अविष्कार नहीं होता तो दशमलव प्रणाली नहीं होती। शिकागो में आयोजित विश्व धर्म महासभा में स्वामी विवेकानंद ने दुनिया के सामने भारतीय संस्कृति और दर्शन की विशिष्टता को बताते हुए शून्य पर दिये गये व्याख्यान से पूरे विश्व को प्रभावित किया। भारत ने विज्ञान के क्षेत्र में विशिष्ट उपलब्धियों से पूरे विश्व में अपनी सफलता का परचम लहराया है। श्री प्रफुल्ल चन्द्र राय, सलीम अली, श्रीनिवास रामानुजन, चन्द्रशेखर वेंकट रमन, होमी जहांगीर भाभा, जगदीश चन्द्र बोस, सत्येन्द्र नाथ बोस, डॉ० अब्दुल कलाम जैसे वैज्ञानिकों का महान व्यक्तित्व सभी को प्रभावित करता है।
पूर्व राष्ट्रपति व महान वैज्ञानिक भारत रत्न डॉ० ए०पी०जे० अब्दुल कलाम, जिन्हें मिसाइलमैन के नाम से याद किया जाता है, वे कहा करते थे कि सामने कोई परिस्थिति हो उसका सामना करो और अपने सपने को साकार करो। कहते हैं कि जो व्यक्ति किसी क्षेत्र विशेष में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करता है, उसके लिए दूसरे क्षेत्रों में भी सब कुछ आसान और सहज हो जाता है। डॉ० ए०पी०जे० अब्दुल कलाम ने इस बात को चरितार्थ किया। भारतीय अन्तरिक्ष एवं देश को मिसाइल क्षमता प्रदान करने का श्रेय डॉ. कलाम को जाता है। आधुनिक भारतीय वैज्ञानिक अपनी कृतियों के कारण सदा याद किये जायेंगे, जिन्होंने भारत में विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है। डॉ० अब्दुल कलाम, अनिल काकोडकर, बीरबल साहनी, होमी जहाँगीर भाभा, प्रेम चंद पाण्डेय, कैलाशनाथ कौल, श्रीराम शंकर अभ्यंकर, सी०एन०आर० राव, जयन्त विष्णु नार्लीकर जैसे अनेक वैज्ञानिक हैं, जिनका नाम सदा गर्व से लिया जायेगा।
आज हमारी नजर जिधर जाती है, उधर ईश्वर की अनुपम विलक्षण दृष्टि में विज्ञान की प्रभुता और किरणें दिखई पड़ती है। आजादी का अमृत महोत्सव स्वाधीनता सेनानियों के महान त्याग व बलिदान के आलावे इन वैज्ञानिकों की देनों को याद करने का अवसर है, जो हमें हमारे वैज्ञानिक प्रगति की राह में निरंतर अग्रसर रहें और वैज्ञानिक उपलब्धियों से हम और समृद्ध हों, ऐसी मंगलकामना है और ऐसा मेरा विश्वास भी है।