एकांतवास से आज बाहर आये भगवान

नेत्रदान के बाद भक्त कर सकेंगे दर्शन, रथ तैयार, मेले की तैयारी भी पूरी

एकांतवास से आज बाहर आये भगवान
नेत्रदान के बाद भक्त कर सकेंगे दर्शन, रथ तैयार, मेले की तैयारी भी पूरी
पूनम की रिपोर्ट रांची के जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ सोमवार को एकांतवास से बाहर आ जायेंगे। आज शाम शाम चार बजे नेत्रदान अनुष्ठान की शुरुआत होती। पूजा के बाद शाम पांच बजे के बाद भगवान के दर्शन हो सकेंगे। भगवान रात भर दर्शन मंडप में ही रहेंगे वहीं रात्रि विश्राम भी करेंगे।

मंगलवार को प्रात: भगवान की पूजा होगी जिसके बाद पट खोल दिया जायेगा। दिन में पट बंद कर भगवान समेत सभी विग्रहों को रथारूढ़ किया जायेगा। रथ की सजावट और विष्णु लक्षार्चना कर आरती होगी। भक्त रथ को खींचते हुए मौसीबाड़ी ले जायेंगे। भगवान को यहां मंदिर में विराजमान किया जायेगा। मंगल आरती व भोग निवेदन के बाद मंदिर का पट बंद कर दिया जायेगा। चार जून को स्नान यात्रा के दिन से प्रभु एकांतवास में थे।विशेष रथ बनाने में लगभग पंद्रह लाख की राशि खर्च होगी। रथ की उंचाई ध्वजा लेकर लगभग चालीस फीट होगी, जो कि काफी भव्य होगा। वहीं चौडाई 24 फीट और लंबाई 18 फीट होगी। रथ बनाने में सबसे ज्यादा लोहे का चैनल का उपयोग किया जा रहा है, जो लगभग फिटिंग हो चुकी है और रथ का मूर्त रूप में आ चुका है। रथ में हाईड्रोलिक इस्तेमाल होगा ताकि उंचाई कम अथवा बढाया जा सके। रांची का जगन्नाथ मेला उड़ीसा के बाद सबसे बड़ा और विशाल माना जाता है।जगन्नाथपुर मंदिर में 333 वर्ष से रथ यात्रा निकाली जा रही है। मेले की सुरक्षा के लिए 16 बैरिकेडिंग बनाए गए हैं. वहीं 40 से भी अधिक सीसीटीवी कैमरों की मदद से मेले की नगरानी की जायेगी। सुरक्षाबल तैनात होंगे साथ ही सादे लिबास में महिला व पुरुष सुरक्षा कर्मियों की तैनाती रहेगी। मंदिर परिसर में 10 दिन तक मेला लगा रहता है। इस मेले में दूर- दूर से लोग शामिल होने और भगवना जगन्नाथ के दर्शन करने आते हैं। कई तरह के झूले, मिठाईयां, बर्तन, ग्रामीण उपयोग की चीजें, चाकू छुरी और तलवार बिकते हैं। रथ यात्रा के दौरान जगन्नाथपुर में लगने वाला मेला लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र होता है।

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