PM मोदी के फ्रांस दौरे में डिफेंस डील संभव

नेवी के लिए खरीदे जाएंगे 26 रफाल; यह सौदा 45 हजार करोड़ रुपए का

PM मोदी के फ्रांस दौरे में डिफेंस डील संभव
नेवी के लिए खरीदे जाएंगे 26 रफाल; यह सौदा 45 हजार करोड़ रुपए का
पूनम की रिपोर्ट PM नरेंद्र मोदी 13-14 जुलाई को फ्रांस की यात्रा पर रहेंगे। वे फ्रांस की राष्ट्रीय परेड में गेस्ट ऑफ ऑनर होंगे। इस दौरान 26 रफाल फाइटर प्लेन खरीदने का सौदा हो सकता है। डील 5.5 अरब डॉलर (45 हजार करोड़ रुपए) की है। रफाल के ‘एम’ वर्जन फ्रांसीसी एयरक्राफ्ट कंपनी दसॉ एविएशन से खरीदे जाएंगे। यह वही कंपनी है, जिससे एयरफोर्स ने 36 रफाल खरीदे हैं।इस दौरे काे भारतीय तटों की सुरक्षा को और मजबूत करने की दिशा में भी बेहद अहम माना जा रहा है। केंद्र सरकार ने नौसेना के लिए लड़ाकू विमान खरीदने की तैयारी पूरी कर ली है।रफाल एम फाइटर जेट समुद्री एरिया में हवाई हमले के लिए विशेष तौर पर डिजाइन किए गए हैं। इन्हें सबसे पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत पर तैनात किया जाएगा। अभी INS विक्रांत पर रूसी मिग-29 तैनात हैं, जो धीरे-धीरे सेवा से बाहर किए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री की फ्रांस यात्रा से ठीक पहले ‘रक्षा खरीद परिषद’ सौदे को औपचारिक मंजूरी देने के लिए बैठक करेगी। सूत्रों ने बताया कि रफाल एम पर विशेषज्ञों की सहमति बन चुकी है।
भारत सरकार पिछले 4 साल से INS विक्रांत के लिए नए फाइटर जेट खरीदने की योजना पर काम कर रही थी। दो साल पहले अमेरिकी बोइंग F-A-18 सुपर हॉर्नेट और फ्रांसीसी रफाल एम में से किसी एक को चुनने की प्रक्रिया पर काम शुरू हुआ।
नौसेना ने पिछले साल गोवा में सुपर हॉर्नेट और रफाल एम को टेस्ट किया। दोनों फाइटर जेट्स की खूबियों और कमियों को लेकर ब्रीफ रिपोर्ट तैयार की गई। इंडियन डिफेंस एक्सपर्ट ने रफाल एम को INS विक्रांत की जरूरतों के हिसाब से फिट पाया, जबकि बोइंग F-A-18 को लेकर इंडियन एक्सपर्ट एकमत नहीं हुए। इसलिए रफाल एम का आना तय माना जा रहा है।INS विक्रांत के समुद्री परीक्षण भी शुरू हो चुके हैं। उसके डैक से फाइटर ऑपरेशन परखे जाने बाकी हैं। सौदे पर मुहर लगने के कम से कम एक साल तक तकनीकी और लागत संबंधी औपचारिकताएं पूरी होंगी। एक्सपर्ट का कहना है कि नौसेना के लिए रफाल इसलिए भी उपयुक्त है, क्योंकि वायुसेना रफाल के रखरखाव से जुड़ा इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार कर चुकी है।
यही नौसेना के भी काम आएगा। इससे काफी पैसा बच जाएगा। सूत्रों का कहना है कि रफाल एम की पहली खेप आने में 3 साल लग सकते हैं। वायु सेना के लिए 36 रफाल का सौदा 2016 में हुआ था और डिलीवरी पूरी होने में 7 साल लग गए थे।

 

 

 

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