कोतवाली थाने में हुआ श्री कृष्ण का जन्म, लॉकअप से वासुदेव सिर पर उठाकर निकले, गूंजा- हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की

रायपुर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाने की एक अनूठी परंपरा पिछले कुछ सालों से चली आ रही है। द्वापर युग में जिस तरह से भगवान श्री कृष्ण का जन्म कारागार में हुआ था

रायपुर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाने की एक अनूठी परंपरा पिछले कुछ सालों से चली आ रही है। द्वापर युग में जिस तरह से भगवान श्री कृष्ण का जन्म कारागार में हुआ था, ठीक वैसे ही परंपरा रायपुर के सबसे पुराने सिटी कोतवाली थाने के लॉकअप में निभाई जाती है। यहां वासुदेव कारागार से अपने सिर पर भगवान कृष्ण को लेकर नंद भवन जाते हैं। रायपुर में वैसे ही थाने के लॉकअप से वासुदेव रायपुर की सड़कों पर निकलते हैं। लॉकअप में अंधेरा कर दिया जाता है और खाकी वर्दी पहने कॉन्स्टेबल अचानक सो जाते हैं। ठीक वैसे ही जैसे कंस के प्रहरी भगवान के जन्म के बाद अचानक सो गए थे।

पिछले 8 सालों से रायपुर के सिटी कोतवाली थाने के लॉकअप में इसी तरह से अनूठे ढंग से श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। सोमवार की रात 12:00 बजे थाने के लॉकअप को सजाया गया था और यहां वासुदेव और उनकी पत्नी बने कलाकार बेड़ियों में जकड़े नजर आए। लॉकअप के गेट पर दो कॉन्स्टेबल थे जिनकी आंख लग गई और इसके बाद वासुदेव टोकरी में श्री कृष्ण को लेकर निकले। सभी श्रद्धालु इस मौके पर हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की के जयकारे लगाते रहे। सिटी कोतवाली के लॉकअप से निकले वासुदेव सदर बाजार के गोपाल मंदिर पहुंचे और यहां भक्तों ने भगवान कृष्ण के बाल रूप के दर्शन किए।

मुंबई के अनूठे आयोजनों से आया आइडिया

श्री कृष्ण जन्मोत्सव समिति के प्रमुख माधव लाल यादव ने बताया कि बचपन से ही वह मुंबई की दही हांडी टीवी पर देखा करते थे। उन्हें लगता था कि उनके शहर में भी कुछ अनूठा आयोजन कृष्ण जन्म उत्सव को लेकर होना चाहिए। इस बार कोविड-19 प्रोटोकॉल की वजह से दही हांडी का आयोजन तो नहीं हो सका लेकिन पिछले करीब 8 सालों से इसी तरह थाने में जन्माष्टमी मनाई जा रही है। माधव ने बताया कि पुराणों में पढ़ने को मिलता है कि कारागार में भगवान का जन्म हुआ था। उसी तर्ज पर हर साल यह आयोजन किया जाता है। इसके लिए उन्होंने साल 2012-13 में प्रदेश के गृह मंत्री से मुलाकात कर सभी थानों में इसी तरह से जन्माष्टमी मनाने की मांग की थी । हालांकि यह मुमकिन नहीं हो सका, लेकिन राजधानी के सिटी कोतवाली थाने में जन्माष्टमी मनाई जाती है।

अंग्रेजों की जमाने की कोतवाली
रायपुर का सिटी कोतवाली थाना अंग्रेजों के जमाने का थाना है। यहां उस समय के अंग्रेज अफसर बैठा करते थे। उस वक्त इस इलाके को सेंट्रल प्रोविंस के नाम से जाना जाता था। 100 साल से भी अधिक पुरानी इस कोतवाली में आज शहर के प्रमुख इलाकों का लॉ एंड ऑर्डर संभालने हमारी पुलिस मौजूद रहती है। आजादी से पहले अंग्रेज अफसर यहां काम करते थे। आजादी के कई आंदोलनों का गवाह रह चुका यह थाना परिसर अब बदल चुका है । पिछले साल ही पुराने भवन को गिरा कर यह भवन तैयार किया गया है और यहां जन्माष्टमी मनाने का यह अनूठा आयोजन बदस्तूर जारी है।

वृंदावन की सखियों का नृत्य
रायपुर के जैतूसाव मठ में सखियां पहुंची। वृंदावन और मथुरा की गलियों में नाच-गाकर अपनी जिंदगी भगवान कृष्ण के नाम कर चुकीं सखियां हर साल रायपुर के जैतूसाव मठ में आती हैं। इन सखियों ने बताया कि साल के बाकि के दिन तो वृंदावन में भजन कीर्तन करते हुए बीतते हैं। मगर हर साल हम रायपुर जरूर आते हैं। पिछले 20 सालों से यहां आ रही सखी ने बताया कि इससे पहले हमारे गुरु यहां आया करते थे। ये सखियां मंदिर में जन्माष्टमी की विशेष पूजा के दौरान नाचती-गाती हैं। भगवान का आशीर्वाद भक्तों तक पहुंचाती है। इनकी मौजूदगी भी कहीं ना कहीं रायपुर के इस मंदिर में जन्माष्टमी के माहौल में वृंदावन और मथुरा की खुशबू बिखेरने का काम करती है।

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