GDP ग्रोथ में आया बड़ा उछाल; जून तिमाही में 20.1% बढ़ी, मार्च में यह सिर्फ 1.6% थी

2021-22 की पहली तिमाही में GDP ग्रोथ जबर्दस्त रही है जून तिमाही में देश की आर्थिक दर तेज उछाल के साथ 20.1% पर पहुंच गई जो मार्च तिमाही में 1.6% रही थी

कोविड के कहर के बाद वाले वित्त वर्ष यानी 2021-22 की पहली तिमाही में GDP ग्रोथ जबर्दस्त रही है। जून तिमाही में देश की आर्थिक दर तेज उछाल के साथ 20.1% पर पहुंच गई, जो मार्च तिमाही में 1.6% रही थी। पिछले साल जून में GDP ग्रोथ रेट नेगेटिव में 24.4% रहा था। भारतीय रिजर्व बैंक ने जून तिमाही में GDP ग्रोथ रेट 21.4% रहने का अनुमान दिया था। इसके साथ ही रॉयटर्स के सर्वे में शामिल 41 अर्थशास्त्रियों ने ग्रोथ का जो अनुमान दिया था, उसका औसत 20% था।

ग्रोथ रेट में तेज उछाल की वजह साफ तौर पर बेस इफेक्ट रही। ऐसे में जानकारों का कहना है कि बेहतर तस्वीर के लिए हमें GDP को तिमाही आधार पर देखना होगा। यह अच्छी बात है कि इसमें तिमाही आधार पर लगातार सुधार आ रहा है।

फिस्कल डेफिसिट टारगेट से ज्यादा
इधर, अप्रैल से जुलाई के बीच फिस्कल डेफिसिट पूरे साल के टारगेट के 21.3% पर पहुंच गया है। इस वित्त वर्ष के पहले चार महीने में फिस्कल डेफिसिट 3.21 लाख करोड़ रुपए रहा है। इस बात का पता सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों से चलता है।

इस दौरान सरकार को टैक्स के तौर पर 5.21 लाख करोड़ रुपए मिले जबकि उसने कुल 10.04 लाख करोड़ रुपए खर्च कर दिए। कोविड के चलते इस साल सरकार ने इस वित्त वर्ष फिस्कल डेफिसिट के लिए 6.8% का टारगेट तय किया है।

ग्रोथ में सुस्ती कोविड के पहले आने लगी थी
जहां तक इकोनॉमिक ग्रोथ की बात है तो इसमें कोविड के पहले से ही सुस्ती का माहौल बन गया था। मार्च 2018 वाली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 8.9% के टॉप पहुंची थी। उसके बाद ग्रोथ रेट में जो गिरावट का सिलसिला शुरू हुआ, उसने थमने का नाम नहीं लिया।

दिसंबर में पॉजिटिव हुई, लगातार बढ़ती गई
जून तिमाही में कोविड के कारण हुए लॉकडाउन की वजह से जीडीपी धड़ाम हो गई। पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ लगभग 25% नेगेटिव में रही। ग्रोथ सितंबर तिमाही में भी माइनस रही, लेकिन दिसंबर में पॉजिटिव हुई और तबसे लगातार बढ़ रही है।

GDP प्रति व्यक्ति 1999 से 2019 तक 5 गुनी
अगर इकोनॉमिक ग्रोथ को दूसरे नजरिए यानी जीडीपी प्रति व्यक्ति से देखें तो 1999 से 2019 तक यह पांच गुना हो गई है। GDP प्रति व्यक्ति से पता चलता है कि अर्थव्यवस्था में हर शख्स का कितना योगदान है, GDP के हिसाब से दूसरों के मुकाबले कितनी आर्थिक संपन्नता है।

इकोनॉमी की सेहत बताती है ग्रोथ रेट
GDP/व्यक्ति का आंकड़ा कई अंदरूनी चीजों के बारे में भी बताता है। जैसे- आबादी स्थिर हो और प्रति व्यक्ति GDP बढ़ रही हो, तो कहा जा सकता है कि देश में उत्पादन बढ़ रहा है। जहां आबादी कम हो लेकिन यह अनुपात ऊंचा हो तो उसका मतलब यह होता है कि देश विशेष संसाधनों की बदौलत आत्मनिर्भर हो गया है।

आबादी GDP से ज्यादा तेजी से बढ़ी तो…
लेकिन, अगर आबादी बढ़ने की रफ्तार GDP ग्रोथ से ज्यादा हो तो प्रति व्यक्ति GDP ग्रोथ नेगेटिव हो जाती है। विकसित देशों में इससे कोई दिक्कत नहीं होती, क्योंकि ग्रोथ में थोड़ी से उछाल इसको पॉजिटिव कर देगी। लेकिन अफ्रीका जैसे देशों में अगर ऐसा होता है तो यह जीवन स्तर बिगड़ने का संकेत होगा।

सितंबर और दिसंबर तिमाही की ग्रोथ पर नजर
केयर रेटिंग्स के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस ने एक मीडिया आउटलेट के लिए लिखा था कि पिछले वित्त वर्ष में इकोनॉमी का साइज 7.3% सिकुड़ा था, इसलिए थोड़ी ग्रोथ भी ज्यादा दिखेगी। देखने वाली बात यह होगी कि सितंबर और दिसंबर तिमाही में ग्रोथ क्या रहती है, क्योंकि आगे फसलों की कटाई और त्योहारों का सीजन आने वाला है।

GST बेहतर इंडिकेटर, लेकिन बड़ा उतार-चढ़ाव
सबनवीस के मुताबिक, एक्सपोर्ट जैसे डेटा में उछाल को लेकर खुश होने की जरूरत नहीं, क्योंकि पिछले साल इसमें लगभग 17% की गिरावट आई थी। IIP और कोर सेक्टर के डेटा में भी बेस इफेक्ट दिखेगा। इंडस्ट्री को बड़े पैमाने पर दिए जा रहे सपोर्ट का असर दिखने में वक्त लगेगा। हालांकि, GST के डेटा खपत के बारे में बताते हैं, लेकिन उसमें भी बड़ा उतार-चढ़ाव होता है।

खर्च के मुकाबले कम कलेक्शन बनाएगा दबाव
केंद्र सरकार ने कहा है कि इस साल राज्यों का डेफिसिट पूरा करने के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपए उधार लेना होगा। मतलब खर्च के मुकाबले रेवेन्यू कलेक्शन कम रह सकता है इसलिए अगर कहा जा रहा है कि किसी महीने एक लाख रुपए से ज्यादा कलेक्शन हुआ है, जो बढ़िया बात है तो उत्साहित होने की जरूरत नहीं।

फाइनेंशियल सेक्टर से मिलते हैं बेहतर संकेत
ऐसे में सबसे अच्छा डेटा फाइनेंशियल सेक्टर से आता है, जो ज्यादा भरोसेमंद होता है। बैंक लोन बताता है कि कंपनियां ज्यादा प्रॉडक्शन कर रही हैं या नहीं, लेकिन वर्किंग कैपिटल के वास्ते लिए जाने वाले बैंक लोन में सालाना ग्रोथ नहीं दिखी है। डेट मार्केट संभावित निवेश के बारे में बताता है, लेकिन फिलहाल इस मोर्चे पर भी कुछ ठीक नहीं है।

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